अयोध्या .....

कोरोना संकट के मद्देनजर राम नगरी में सावन मेला दाव पर... 


कोरोना संकट के चलते रामनगरी का आगामी सावन मेला  जो 25 जुलाई से प्रारंभ होगा इस बार भी पूर्व वर्ष की तरह सावन मेला दांव पर लगता जा रहा है। सोमवार को जिस तरह उमंग-उल्लास की पर्याय भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा प्रतीकात्मक होकर रह गई, उससे सावन मेला को लेकर भी आशंकाएं कुलबुलाने लगी हैं। हालांकि जिला में कोरोना संक्रमितों की संख्या मात्र 15 रह गई है और राष्ट्रीय स्तर पर भी कोरोना संक्रमितों की संख्या में निरंतर गिरावट भी दर्ज की जा रही है। इसके बावजूद देश और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में इधर उधर कोरोना के  मिल रहे नए वैरिएंट के मरीज और कहीं अधिक खतरनाक बताई जा रही तीसरी लहर  के आने की चेतावनी के चलते लोगों में अभी भी कोरोना का भय बना हुआ है। ऐसे में  न केवल रथयात्रा, बल्कि पूर्व सरयू जयंती महोत्सव का रंग भी कोरोना संकट के चलते भंग हो चुका है।

राम नगरी अयोध्या में कोरोना संकट शुरू होने के पूर्व के वर्षों तक ऐसे पर्वों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़  उमड़ता था, वहीं अब श्रद्धालुओं की संख्या नाममात्र की होकर रह गई है। गत वर्ष 25 मार्च से लाकडाउन के प्रथम चरण के साथ ही वासंतिक नवरात्र और रामनवमी मेला बाधित हुआ। रामनवमी मेला के मौके पर रामनगरी में 25 से 30 लाख श्रद्धालु जुटते हैं और उनकी आमद मंदिरों की अर्थ व्यवस्था के साथ स्थानीय व्यापारियों के लिए संजीवनी साबित होती है, पर कोरोना संकट के चलते रामनगरी इस संभावना से वंचित हुई। इसके बाद तीन और मुख्य मेला एवं दर्जन भर से अधिक पर्व पड़े और कोरोना संकट के चलते हर बार रामनगरी संभावनाओं से वंचित होती रही।

इसी महीने की 24 तारीख को गुरुपूर्णिमा और अगले दिन सावन मेला की शुरुआत से श्रद्धालुओं की भारी संख्या में राम नगरी में आगमन अपेक्षित है, पर यह अपेक्षा फलीभूत होने में संदेह है। इसी के साथ ही मंदिरों की अर्थ व्यवस्था को लेकर साधु संतों के माथे पर चिता की रेखाएं उभरने लगी हैं |-------+++संतोष कुमार श्रीवास्तव, अयोध्या विधानसभा रिपोर्टर++

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