सरकार सूखा घोषित कर उपयुक्त मुआवजा दे 
         जलौन

( सूखती फसलें रोते किसान )
एक तो किसान मंहगाई की मार से परेशान हैं वहीं दूसरी ओर उन्हें अपनी फसलों का मूल्य उचित रूप से नहीं मिल पाता है । छोटे किसानों को अपनी छोटी छोटी जरूरतों के लिए थोड़ी थोड़ी उपज बेचना पड़ती है मंडी और गांव में बिचौलियों के माध्यम से बेची उपज का मूल्य उन्ही के द्वारा तय होता है। भले ही सरकार किसानों की आय दुगना करने की बात करती हो लेकिन सच्चाई उससे कोसों दूर है। बढ़ते डीजल के मूल्य,खाद,बीज , दवाइयों आदि के मूल्यों ने किसान की कमर तोड़ दी है। मंहगाई की बजह से भाड़े पर खेती करना बहुत मंहगा हो गया है।एक तो मंहगाई की मार दूसरी सूखे ने किसानों को रोने पर मजबूर कर दिया है।बर्षात के मौसम की जो फसलें बोई गई बो गर्मी के कारण पूरी जमी नहीं है ओर जो जम गई है बो बर्षा न होने से सूख रहीं हैं। खेतों में सूखती फसलें देखकर किसानों को रोना आ रहा है। किसानों की सरकार से मांग है कि बह शीघ्र सूखा घोषित कर किसानों को उचित मुआवजा दिलाए।


अनिल कुमार की रिपोर्ट

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