एक बात तो बताओ, विपक्ष को रात दिन कोसते रहने से आपको क्या मिला? : उपेंद्र सिंह
आगरा,संजय साग़र। आसमान से अवतरित विकास पुरूष द्वारा सत्ता संभाले हुए 7 साल बीत चुके हैं और आप ने उन्हें अपने सिर माथे पर इसीलिए बैठाया था कि मजबूत भारत बनाना है। स्वर्णिम भारत बनाना है। विश्व गुरु बनाना है, लेकिन असल में हुआ क्या? महंगाई, कोरोना व्यवस्थाओं के बीच फैली अव्यवस्थाओं के चलते गांव-गांव मौतें हुई। नोटबन्दी, जीएसटी, बेरोजगारी, भ्र्ष्टाचार, बेकाबू होती सरकारी मशीनरी के अंधे-बहरेपन और जनप्रतिनिधियों की निष्क्रियता आदि आदि से आमजन क्षुब्ध हो रहा हैं..?

इस संदर्भ में कॉंग्रेस के पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष उपेंद्र सिंह ने बताया कि बड़े दुःख की बात हैं कि ये सरकार सिर्फ़ और सिर्फ़ कुतर्क पर चल रही हैं।क्या मरते हुए लाखों लोगों को समय पर ऑक्सीजन मिली? अस्पताल में बेड मिला? सही कीमत और समय पर दवाई और इंजेक्शन मिले? नहीं न? तो फिर आपको मिला क्या? ऑक्सीजन,अस्पताल और दवाइयों के बिना सिर्फ 2 महीनों में कई लाख मौतें। अचानक लॉक डाउन से करोड़ों मजदूरों सैकड़ों से हजारों किमी भूखे प्यासे पैदल चलने के लिए मजबूर हो गये। लाखों लोग अस्पताल और ऑक्सीजन के लिए भटकते रहे। एक हजार का इंजेक्शन 25 हजार से 1 लाख में खरीदने के लिए मजबूर हुए। शमशानों में लाइनें लग गयीं और हजारों को कफ़न और लकड़ी, कंडे भी नसीब नहीं हुए। गंगा में बहती हुई और किनारों पर दफन हजारों हिंदुओं की लाशों को चील, कौए और कुत्ते नोचते रहे। क्या यह सब इसीलिए हुआ कि वर्तमान में कॉंग्रेस की सरकार है नहीं ना। तो कौन है इस सब का जिम्मेदार? विपक्ष को वार वार कोसने से आप लोग खुद को आत्मग्लानि के अहसास से तो बचा सकते हैं, लेकिन देश को बर्बादी से नहीं। देश में सरकार बदले हुए 7 साल बीत चुके हैं, लेकिन अभी भी आपकी समस्या यही है कि विपक्ष अच्छा नहीं हैं। देश का प्रधानमंत्री? वित्त मंत्री? स्वास्थ्य मंत्री? या फिर रक्षा मंत्री? सरकार के किसी भी निर्णय में उसकी भूमिका क्या है? पर फिर भी जब सत्ता पर विराजमान आपके देवपुरुष पर उंगलियां उठे, कोई स्कूल, अस्पताल, नौकरी, रोजगार की बात करे, ज्यादातर लोगों की प्रतिक्रिया होती है कि विपक्ष अच्छा नहीं हैं ?

नौकरी मिली? व्यापार की मंदी खत्म हुई? पेट्रोल 50रु लीटर में मिला? सस्ता सिलेंडर मिला? आपको मिला धोखा, झूठ,अफवाह, जुमले।पाकिस्तान और हिन्दू-मुस्लिम का प्रोपेगैंडा। 105 का पेट्रोल, 100 का डीजल, 850 का सिलेंडर, 170 का रिफाइंड तेल,160 का सरसों तेल साथ और सभी दैनिक उपयोग में आने वाली वस्तुएं सिर्फ एक साल में दुगुनी रेट पर पहुँच चुकी हैं। व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी में अध्ययनरत व उत्तीर्ण हो चुके विद्वान और विदूषियों, 12 करोड़ लोगों के नौकरी और रोजगार की बर्बादी, चौपट व्यापार,चौपट अर्थव्यवस्था और तबाह होता देश। आप बताइए, मूर्खतापूर्ण नोटबंदी और फिर जल्दबाजी में जीएसटी जिनसे अर्थव्यवस्था डूब गई,जीडीपी ग्रोथ पहले 8% से 3.1% और फिर माईनस 7.3% पर आ गयी और इसीलिए करोड़ों नौकरी चली गईं,व्यापार ठप हो गए, ये किसी करनी है? टेक्सटाइल निर्यात और प्रति व्यक्ति आय के अलावा और भी कई मामलों में हम बांग्लादेश से पीछे हो गए कौन जिम्मेदार है इसके लिए? गलवान में 20 सैनिक शहीद हुए, हमारा कब्जा कई किमी पीछे हट गया, अरुणाचल प्रदेश से सटी भारतीय सीमा के भीतर चीन ने पूरा एक गांव बसा लिया। दर्जनों सरकारी कम्पनियां, दर्जनों बैंक और रेलवे से लेकर एयरपोर्ट जैसी देश की संपत्तियां बेची जा रही हैं। भाइयों और बहनों नींद से जागो। आसमान से अवतरित विकास पुरूष द्वारा सत्ता संभाले हुए 7 साल बीत चुके हैं और आप ने उन्हें अपने सिर माथे पर इसीलिए बैठाया था कि मजबूत भारत बनाना है। स्वर्णिम भारत बनाना है। विश्व गुरु बनाना है, लेकिन असल में हुआ क्या?

श्री सिंह ने बताया कि व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर और सत्ता पर काबिज देश के नाकारे, निकम्म्मे और असली मूर्ख को पहचानिए। हिम्मत है तो उस असली मूर्ख से सवाल पूछिए, उसकी नाकामी के लिए उसे कटघरे में खड़ा करिए। इतना भी न कर पाएं तो कम से कम जो लोग बोल रहे हैं विपक्ष में उनकी टांग मत खींचिए और इतना सब होने के बाद भी कुछ समझ में न आये तो बस अपनी बारी का इंतजार कीजिये क्योंकि करोड़ों जिनकी नौकरी, रोजगार चला गया, व्यापार बर्बाद हो गया और जो लाखों लोग असमय परलोक चले गए, बिल्कुल आपकी तरह, उनमें से ज्यादातर को उसके मसीहा होने का भ्रम था। और हां जिस आदमी को मूर्ख साबित करने के लिए वो कागजी मसीहा साल में सैकड़ों-हजारों करोड़ खर्च करता है न,उसके एक एक बयान का जवाब देने के लिए एक दर्जन मंत्री,पूरा गोदी मीडिया और सोशल मीडिया तंत्र लगाना पड़ता है,और देर सवेर उन्हीं राहुल जी की बातों पर अमल करना पड़ता है। बाकी सब भली भांति जानते हैं कि ये सरकार सिर्फ़ और सिर्फ़ कुतर्क पर चल रही हैं।

आसमान से अवतरित विकास पुरूष स्वर्णिम नहीं बल्कि कंगला भारत बन चुका है, 65 साल में देश पर जितना कर्ज था वो सिर्फ 7 साल में दोगुना से ज्यादा हो चुका है। हर तरह के टेक्स से जनता का खून चूसने के बावजूद सरकार का खजाना खाली है। मजबूत भारत की बजाय इतना मजबूर भारत बन चुका है कि अब नेपाल भी हमें आंख दिखाने लगा है और सारे पड़ौसी देश अब चीन की गोद में जाकर बैठ गए हैं। लाशों में विश्वगुरु तो बन ही चुके हैं और बहुत तेजी से कंगाली में विश्वगुरु बनने की तरफ बढ़ रहे हैं। परंतु आप लोगों की समस्या पता है क्या है? आप अभी तक इस बात को मानने के लिए तैयार नहीं हैं कि जिस आदमी को आपने मसीहा समझकर दो बार सत्ता के शीर्ष पर बैठाया,वो आदमी पहले वालों की खींची गयी लकीर की तुलना में बड़ी लकीर खींचने में पूरी तरह नाकाम रहा है। इसीलिए आप लोगों को पुरानी लकीर को मिटाकर उसे छोटा दिखाने में लगा दिया गया है।विपक्ष को वार वार कोसने से आप लोग खुद को आत्मग्लानि के अहसास से तो बचा सकते हैं, लेकिन देश को बर्बादी से नहीं। बर्बादी की आग चारों तरफ फैल चुकी है, करोड़ों उसमें झुलस गए हैं, और लाखों जलकर खाक हो चुके हैं। अब ये आपको तय करना है कि उस आग में आपको भी जलना है, या फिर बचने का उपाय करना है।जलना है तो वही करिए जो अभी तक कर रहे थे,अन्यथा खुद को धोखा देना बंद कीजिए।

रिपोर्ट राजकुमार गुप्ता 

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