उतरौला (बलरामपुर) 
महुआधनी गांव में पौने छह लाख रुपयों की लागत से बन रहे सामुदायिक शौचालय की दीवार गिरने के मामले में दोषी अधिकारियों के खिलाफ पांच दिन बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। 

दीवार गिरने के बाद पूरी बिल्डिंग के भविष्य पर प्रश्नचिन्ह लग गया है। जनवरी महीने में बने शौचालय में केवल रंगाई-पुताई व टैंक के निर्माण का काम बाकी बचा था। 
दीवार गिर जाने के कारण पूरे शौचालय की गुणवत्ता पर प्रश्न चिह्न खड़ा हो गया है। स्वच्छ भारत मिशन के तहत ग्राम सभा में चाईंडीह में आठ सीटों वाले शौचालय के निर्माण के लिए 5.71 लाख रुपये जारी हुए थे। निर्माण कार्य ग्राम पंचायत सचिव की देखरेख में कराया गया था। मंगलवार की रात शौचालय की दीवार की नींव बैठ गई। इसके बाद लभग पंद्रह फीट की लंबाई की दीवार गिर गई। बाकी बची दीवारों में भी दरारें आ गई हैं जो कभी भी गिरने की स्थिति में पहुंच गई है। ग्रामीण मुकीबुद्दीन, लल्लन वर्मा, सिराज ने बताया कि निर्माण कार्य की गुणवत्ता पहले से ही खराब थी। नींव में आरसीसी की प्लेट नहीं डाली गई थी। जिसे लेकर अधिकारियों से अनेक शिकायतें भी की गई थीं। ग्राम पंचायत सचिव जितेंद्र यादव ने ग्रामीणों के आरोपों को खारिज करते हुए बताया कि दक्षिण तरफ दीवार के पास टैंक के लिए गड्ढा खोदवाया जा रहा था। 
बरसात का पानी भर जाने के कारण नींव बैठने से दीवार गिर गई है। जिसे ठीक करा दिया जाएगा। बीडीओ के पद पर किसी की तैनाती न होने से पक्ष नहीं लिया जा सका।
असग़र अली
उत्तरौला

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