NCR News:हममें में से बहुत से लोग ऐसे हैं, जो अपने मन मुताबिक काम नहीं कर पाते। चंद लोग ही ऐसे हैं जिन्हें ये आशीर्वाद मिला है कि वो चीजें कर सकते हैं, जो उन्होंने सोची हैं। यह संघर्ष जिंदगीभर चलता रहता है। पर हमें हार नहीं माननी चाहिए। यह कहना है ख्यात बॉलीवुड कलाकार और थियेटर आर्टिस्ट मनोज वाजपेयी का।हाल ही में उनके सीरियल फैमिली मैन का दूसरा भाग आया है। इस मौके पर उन्होंने अस्वीकृति, चुनौतियां, आध्यात्मिकता, फिल्म इंडस्ट्री में बाहरी होने के नाते पेश आई मुश्किलें और जगह बनाने की जद्दोजहद के बारे में मीडिया प्लेटफॉर्म इनक्वॉयरी से खास बातचीत की।20-21 साल का था, जब गांव में सब छोड़कर आया था। बहुत कोशिशें की पर हर बार अस्वीकृति मिलती थी। बहुत बुरा लगता था, खासकर मेरे जैसे शख्स, जिसके पास कोईप्लान बी हो। डीयू में था जब तीनों साल पढ़ाई आखिरी महीने में ही की। पूरा ध्यान थियेटर और एक्टिंग पर लगा रखा था।एनसडी में प्रवेश के लिए बहुत कोशिशें की पर विफलता ही मिली। जब आप रिजेक्ट होते हैं, तो पता नहीं होता करना क्या है, कहां जाना है। पर जितनी बार रिजेक्शन मिलता है, आप खुद पर और ज्यादा काम करते हैं। ये प्रक्रिया रुकती नहीं और रुकनी भी नहीं चाहिए।

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