प्राचीन स्वयं भू लार्ड विशेश्वर मंदिर के वाद मित्र विजय शंकर रस्तोगी को आपत्ति के लिए रिवीजन याचिका की प्रति उपलब्ध कराया गया। यूपी सुन्नी सेंट्रल बोर्ड ऑफ वक्फ के अधिवक्ता अभय यादव और  तौहीद खान ने  फास्ट ट्रैक कोर्ट सिविल जज सीनियर डिवीजन के आठ अप्रैल 2021 के उस आदेश को रिवीजन याचिका में चुनौती दी है, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को पांच सदस्यीय कमेटी के देखरेख में खुदाई का आदेश दिया गया था।रिवीजन याचिका में कहा गया कि ऐसा करने का अधिकार इस अदालत को नहीं है, पूरे मुक़दमे की सुनवाई का अधिकार यहां की अदालत को नहीं है बल्कि सेंट्रल सुन्नी वक्फ  बोर्ड लखनऊ को है। इस मुद्दे पर हाइकोर्ट में मुकदमा हाइकोर्ट इलाहाबाद में विचाराधीन है।

निगरानी में यह भी कहा गया कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 का भी इस आदेश में उलंघन किया गया है, जिसमें कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 को आजादी के दिन मंदिर, मस्जिद, गुरद्वारे, धर्म स्थल की जो स्थिति रही है वैसी ही रहेगी। ज्ञानवापी मस्जिद 1669 से अस्तित्व में है लगभग चार सौ वर्ष पुराने मस्जिद की खुदाई से उसका अस्तित्व समाप्त हो जाएगा और मौके पर शांति व कानून व्यवस्था भी प्रभावित होगी।

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