200 साल पुरानी ऐतिहासिक धरोहर वाले शाही पुल का अस्तित्व होगा खत्म 

      गिरजा शंकर गुप्ता ब्यूरो
अम्बेडकरनगर। करीब 200 साल पुराने दोस्तपुर के शाही पुल का अस्तित्व खत्म होगा। ब्रिटिश शासन काल में बने पुल का अब मरम्मत नहीं हो सकता है। आवागमन के लिए पुल का प्रयोग नहीं हो सकता है। सुचार और पूर्ववत आवागमन के लिए अब एकमात्र उपाय नए पुल का निर्माण ही बचा है।
बीते 20 जून को सुल्तानपुर और अम्बेडकरनगर जिले की सीमा का निर्धारण करने वाले मंजूषा यानि मझुई नदी पर दोस्तपुर कस्बे से सटकर बने शाही पुल में दरार आ गया था। पुल का अम्बेडकरनगर जिले की सीमा की दीवार ढह गई थी। तब से पुल पर चार पहिया वाहनों की आवाजाही बंद है। केवल दो पहिया वाहनों से ही आवागमन हो रहा है। दो पहिया वाहनों से आवागमन करने की छूट टूटी दीवार की मरम्मत के बाद मिली है। इस बीच जिलाधिकारी सैमुअल पॉल एन के निर्देश पर अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड शंकर्षण लाल ने शाही पुल का निरीक्षण किया। निरीक्षण में पूरे पुल मरम्मत की संभावना और पुल से आवागमन में खतरा न होने के बाबत हुई। अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड ने निरीक्षण रिपोर्ट तैयार कर जिलाधिकारी को भेजा है। रिपोर्ट में पुल की मरम्मत के लायक न होना बताया गया है और आवागमन करने पर कभी भी भीषण हादसे का सबब बन जाना बताया गया है।सेतु निगम को भेजा पुल के निर्माण का प्रस्ताव
अधिशासी अभियंता लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड शंकर्षण लाल ने बताया कि जिलाधिकारी को रिपोर्ट भेज दी गई है। रिपोर्ट में अब एकमात्र विकल्प नए पुल का निर्माण किया जाना है। उन्होंने बताया कि इस बाबत सेतु निगम को प्रस्ताव भेजा गया है। भेजे प्रस्ताव के अनुसार जल्द ही शाही पुल के समानांतर दोस्तपुर में नए पुल का निर्माण किए जाने की प्रबल संभावना है।
‘दोस्तपुर का शाही पुल अब मरम्मत के योग्य नहीं है। सबसे अहम यह है कि जिस मटेरियल्स से पुल बना है वह ही नहीं मिलने वाला है। दूसरे मटेरियल्स से मरम्मत करने पर गुणवत्ता नहीं आनी है। ऐसे में नया पुल बनाया जाना ही उचित है। नया पुल बनाने का प्रस्ताव शासन और प्रशासन को भेजा जा रहा है।
शंकर्षण लाल, अधिशासी अभियंता, लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड

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