दहेज में कार न मिलने पर बहू को जलाकर मार डालने के मामले में विशेष न्यायाधीश (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) पुष्कर उपाध्याय की कोर्ट ने सजा सुनाई है। आरोपित सास तारा चौबे, ससुर उमेश चंद्र चौबे, देवर मनीष एवं ननद अलका को दोषी पाते हुए दस- दस साल की सजा सुनाई गई।  साथ ही अदालत ने आरोपितों पर तीन-तीन हजार रुपया जुर्माना भी लगाया है।


चारों आरोपित उसी समय से जेल में हैं, जबकि मृतका के पति आशीष चौबे को संदेह का लाभ देते हुए दहेज हत्या के आरोप से बरी कर दिया। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी द्वय विनय कुमार सिंह व कमलेश यादव ने पैरवी की। अभियोजन पक्ष के अनुसार मऊ जिला के रानीपुर थानांतर्गत ब्राह्मणपुरा गांव निवासी अवधेश दूबे की पुत्री प्रियंका की तीन मार्च 2014 को वाराणसी के श्यामपुरी कालोनी, मीरापुर बसही (शिवपुर) निवासी उमेश चंद्र चौबे के बेटे आशीष चौबे के साथ हुई।शादी के कुछ दिन बाद से ही दहेज में कार लाने की मांग करते ससुराल वाले उसे तरह तरह से प्रताड़ित करने लगे। शादी को एक साल भी नहीं बीता कि उपरोक्त अभियुक्तों ने 17 सितंबर 2014 की शाम में प्रियंका के ऊपर मिट्टी का तेल डालकर उसे जला दिया। बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मृत्यु हो गई। पुलिस ने विवेचना के बाद आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया।अदालत ने दोनो पक्ष के सुनने व साक्ष्य के अवलोकन के बाद आरोपितों को दोषी पाते हुए सजा सुनाई।

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