आगरा, || संजय साग़र। ब्राह्मणो का देश के सबसे विशाल संपर्क अभियान और विप्र नीति एवं एकीकरण के अग्रणी संगठन अखिल भारतीय विप्र एकता मंच ने विश्व विख्यात विद्वान आचार्य चाणक्य के जन्मोत्सव के रूप में विश्व ब्राह्मण दिवस का वर्चुअल वेबीनार के रूप में आयोजन किया। कोरोना संक्रमण काल को देखते हुये, इस तरह का आयोजन जनसामान्य को सुरक्षित जीवन व सर्व समाज को सकारात्मक संदेश देने वाला आयोजन सिद्ध होगा। वेबिनार का उदघाटन स्वास्तिवाचन एवं मंत्रोच्चारण के साथ पाँच विद्वान ब्राह्मणो डॉ नरेंद्र अग्निहोत्री, पं.भगवान स्वरूप शर्मा ”वानप्रसथी”(गुजरात), पंडित महेश त्रिपाठी “व्यास” पंडित विजय अडीचवाल ज्योतिर्विद (उज्जैन),पं.अश्विनी मिश्रा ( यमुना आरती के प्रणेता) ने किया।
गौड़ ब्राह्मणकुलोत्पन्न पूज्य संत श्री श्री 1008 मुरारीदास जी महामंडलेश्वर,दिगंबर आखाडा करहिधाम मुरैना, पूज्य संत श्री श्री 1008 नवलगिरी जी महाराज “फलाहारी” महामंडलेश्वर(वृंदावन),पूज्य संत श्री श्री 1008 कृष्णनन्द स्वामी जी ‘महामंडलेश्वर’(प्रयागराज) जी का आशीर्वाद प्राप्त हुआ।
विशेष वर्चुअल सेमिनार में अपने विचार व्यक्त करते हुए अखिल भारतीय विप्र एकता मंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ उमेश शर्मा ने कहा कि अपनो को एक सूत्र में पिरोना ही समाज निर्माण व एकता से राष्ट्र को समर्पित होना, ब्राह्मण को सच्चा मार्गदर्शक बनाएगा। यही आचार्य चाणक्य के जन्मदिवस के रूप में या यो कहें विश्व ब्राह्मण दिवस के रूप में सच्चा आयोजन और संकल्प होगा। इससे साफ हो जाता है कि जातिवाद भारत के संस्कृति में नहीं था। ये सब बाहर से गलत प्रचार कर बनाया गया है। देश को फिर से स्वर्णिम भारत बनाने के लिए यूवाओ को एक साथ आना पड़ेगा। आपके पास कोई क्रिप्टो क्रिश्चन गलत बात फैलाता हो तो आपको उसको सही जबाब देना होगा, जिससे समाज टूटे नहीं, देश फिर से अखण्ड बन सके। जबकि विद्वान और इतिहास कहता हैं कि भारत मे मौर्य+ब्राम्हण (चाणक्य+चन्द्रगुप्त) एक साथ आया तो स्वर्णीम भारत बना था, इसी को रोकने के लिए क्रिप्टो क्रिश्चन कुत्सित थियोरी गढ़कर और इतिहास को तोड़ मरोड़कर, इन दोनो जातियो को आपस मे दुश्मन बना दिया और ब्रहमनों को बदनाम करने का काम लगातार किया जा रहा है ,जिसको रोकना अति आवश्यक हो गया है। कुछ ऐसे विघटनकारी इतिहास विद रहें हैं जिनहोने इस तरह कि सच्चाई को छिपाकर, फुट डालने का अजेंडा आगे बढ़ा दिया है ,जिनका काम ब्राम्हण विरोध करना और मौर्य को कमजोर, अछूत शुद्र बताने में अपना ताकत लगाना है और धीरे-धीरे मौर्य भी अपने आप को कमजोर, अछूत, शुद्र मानने लगा। ब्राह्मण जो विश्वकल्याण का बात करता है, उसको क्रिप्टो क्रिश्चन के इशारे पर सबसे बड़ा अत्याचारी साबित करने का प्रयास किया जाता रहा है। क्योंकि इनको पता है, की भारत को टुकड़े करना है, तो यहाँ की संस्कृति समाप्त करना होगा और संस्कृति समाप्त करने के लिए ब्राम्हणो को अलग-थलग करना पड़ेगा। इतिहास में आपको ब्राम्हणो का हजारो त्याग का उदाहरण मिल जाएगा। लेकिन कुछ गलत ब्राम्हण का उदाहरण दे कर वामपंथी व क्रिप्टो क्रिश्चन हजारो त्याग के गाथा को छुपाने के प्रयास करता है और गलत जानकारी समाज मे परोसा जाता है।
श्री शर्मा ने कहा कि भारत मे वर्तमान में जातियों का जंजाल बनता जा रहा है, लेकिन भारतीय संस्कृति में कभी जाति जैसे शब्द अधिक प्रचलन में नही था। वर्ण अवश्य थे , लेकिन उस बात को बदलकर सिर्फ जाति का खेल करना शुरू कर दिया। यहाँ केवल वर्ण व्यवस्था था और वो वर्ण व्यवस्था भी गुण व कर्म के आधार पर तय होता था। कुछ उपद्रवी किस्म के लोगों ने ब्राह्मण जातियों को भी उपजाति का ऐसा आधार बनाया कि अब अनगिनत उपवर्गीय ब्राह्मण जातियाँ स्मजिक स्टार पर गिनने और देखने में आ रही है और चलते चलते 1938 के काल में इनमे कई को तो हेय दृष्टि से भी अपने ही देखने लगते थे। विघटन व अन्य उप्वर्गों में भी,विघटन का दंश ऐसे चला कि आपस में ही विषकारक हो गया और ब्रहम्न ही अपने ब्राह्मण बंधुओं को अब्राह्मण की संज्ञा देने लगे है और उंच नीच का आंकड़ा, स्वयं को श्रेष्ठ बताने के चक्कर में आफ्नो को त्याग रहे हैं और आज भी ऐसी परम्पराएँ अभी भी ब्रहम्न समाज में व्याप्त है। इसको दूर करने के उपाय करना अवश्यक है, अगर हम,अपने ब्राह्मणत्व और ज्ञान को बचाकर समाज व राष्ट्र निर्माण में मार्गदर्शक बने तो विश्व ब्राह्मण दिवस का आयोजन सकारात्मक होगा। आचार्य चाणक्य ने कहा था “ब्राह्मण के पास जितना अधिक ज्ञान होगा, उसे उतना ही अधिक सम्मान प्राप्त होगा”- इस कथन को अगर ब्राह्मण समाज आत्मसात करके आगे बढ़ा तो यही श्रद्धेय चाणक्य का जन्मोत्सव होगा और यही ‘विश्व ब्राह्मण दिवस’ का सही आयोजन होगा। ब्राह्मण विश्व कल्याण चाहता है,वसुधैव कुटुंबकम की भावना का अग्रोहा है। क्योंकि जंग लोहे को तो नष्ट कर सकती है लेकिन संस्कारों को नही। ब्राह्मण स्वयं ही नही सर्व समाज के संस्कारों का रक्षक है।
मंच के राष्ट्रीय कोशाध्यक्ष पंडित बी डी शर्मा ने कहा कि ब्राह्मण सम्मान के बदले अपना सर्वस्व त्याग देता है,आज उसी को टार्गेट किया जाना या आपस की फूट या वैमनस्य रखना, समाज ही नही देश के लिए भी घातक है।
मंच के पंडित विनोद गौड़ एवं राष्ट्रीय महामंत्री पंडित नरेश शर्मा ने सभी का आभार व्यक्त किया। वेबिनार में पं. शिवचरण बाजपेयी , पं. वेदप्रकाश शर्मा ,पं. प्रवीण शर्मा , पं. सुभाष जैमिनी, पं. सपना भारद्वाज , पं.मनोज शर्मा , पं.भीकाराम गौड़ , पं. राघवेंद्र शर्मा, पं. योगेश शर्मा , पं. गोविंद शर्मा, पं. ममता भारद्वाज, पं. त्रिलोक शर्मा इत्यादि हरियाणा,उ प्र, मध्य प्रदेश, दिल्ली , राजस्थान, महाराष्ट्र,बंगलोर, चेन्नई, कर्नाटका एवं अन्य राज्यों के बंधुओं और ब्रहम्न समुदाय के विभिन्न संगठनो के अध्यक्षों व महमंत्रियों ने भाग लिया। सर्व ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष (कार्यकारी) पंडित मनोज मोहन शास्त्री भगवाताचार्य,महमन्त्री पं. अखिलेश गौड़ , कान्यकुब्ज महासभा पं. के के चतुर्वेदी , पं. अभिषेक परासर, काशी से पं. शीतनशु पांडे अखिल भारतीय महाऋषि गौतम ब्रहम्न महासभा के अध्यक्ष पं. आर एस गौतम , सारस्वत समाज से राजकुमार सारस्वत इत्यादि ने भाग लिया। तकनीति सहयोग विशेषकर मंच के मीडिया प्रभारी पंडित कपिलदेव शर्मा, पंडित वीरेंद्र शर्मा का योगदान सरहनीय रहा।
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