आगरा || पांच जून यानी विश्व पर्यावरण दिवस। पर्यावरण और प्राणी एक दूसरे पर आश्रित हैं। सम्पूर्ण संसार में विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का मकसद यह हैं कि बदलते पर्यावरण के प्रति आमजन मानस को जागरूक किया जाए और हम सभी वातावरण को संरक्षित करें।
विश्व पर्यावरण दिवस इस महत्वपूर्ण विचार को बढ़ाते विनोद इलाहाबादी ने अपने वक्तव्य में कहा कि पर्यावरण और प्राणी एक दूसरे पर आश्रित हैं। गंदिगी, गंदा पानी, धूंआ जंगलों व हरे भरे पेड़ों की कटाई ने पर्यावरण पर बहुत हानि कारक प्रभाव डाला हैं जिससे वायु जल और धरातल के दूषित होने के कारण संसार में कई नई नई बीमारियों ने जन्म लिया हैं। विश्व पर्यावरण दिवस मनाने का मकसद यह हैं कि बदलते पर्यावरण के प्रति आमजन मानस को जागरूक किया जाए और सभी लोग पर्यावरण संरक्षण के प्रति सामूहिक रूप से संकल्पित हो कर कार्य करें।
पर्यावरण चेतना का तात्पर्य है कि हम अपने चारों तरफ के वातावरण को संरक्षित करें तथा उसे जीवन के अनुकूल बनाए रखें। तभी पर्यावरण दिवस मनाना पूरी तरह से सार्थक होगा। संयुक्त राष्ट्र द्वारा घोषित यह दिवस पर्यावरण के प्रति वैश्विक स्तर पर राजनैतिक और सामाजिक जागृति लाने के लिए मनाया जाता है। इसकी शुरुआत 1972 में 5 जून से 16 जून तक संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा आयोजित विश्व पर्यावरण सम्मेलन से हुई। 5 जून 1973 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया।
श्री इलाहाबादी ने बताया कि पर्यावरण शब्द का निर्माण दो शब्दों परि और आवरण से मिलकर बना है, जिसमें परि का मतलब है हमारे आसपास अर्थात जो हमारे चारों ओर है, और 'आवरण' जो हमें चारों ओर से घेरे हुए है। पर्यावरण उन सभी भौतिक, रासायनिक एवं जैविक कारकों की कुल इकाई है जो किसी जीवधारी अथवा पारितंत्रीय आबादी को प्रभावित करते हैं तथा उनके रूप, जीवन और जीविता को तय करते हैं। पर्यावरण के जैविक संघटकों में सूक्ष्म जीवाणु से लेकर कीड़े-मकोड़े, सभी जीव-जंतु और पेड़-पौधों के अलावा उनसे जुड़ी सारी जैव क्रियाएं और प्रक्रियाएं भी शामिल हैं। जबकि पर्यावरण के अजैविक संघटकों में निर्जीव तत्व और उनसे जुड़ी प्रक्रियाएं आती हैं, जैसे: पर्वत, चट्टानें, नदी, हवा और जलवायु के तत्व इत्यादि।सामान्य अर्थों में यह हमारे जीवन को प्रभावित करने वाले सभी जैविक और अजैविक तत्वों, तथ्यों, प्रक्रियाओं और घटनाओं से मिलकर बनी इकाई है। यह हमारे चारों ओर व्याप्त है और हमारे जीवन की प्रत्येक घटना इसी पर निर्भर करती और संपादित होती हैं। मनुष्यों द्वारा की जाने वाली समस्त क्रियाएं पर्यावरण को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं। इस प्रकार किसी जीव और पर्यावरण के बीच का संबंध भी होता है, जो कि अन्योन्याश्रित है। मानव हस्तक्षेप के आधार पर पर्यावरण को दो भागों में बांटा जा सकता है, जिसमें पहला है प्राकृतिक या नैसर्गिक पर्यावरण और मानव निर्मित पर्यावरण। यह विभाजन प्राकृतिक प्रक्रियाओं और दशाओं में मानव हस्तक्षेप की मात्रा की अधिकता और न्यूनता के अनुसार है। पर्यावरणीय समस्याएं जैसे प्रदूषण,जलवायु परिवर्तन इत्यादि मनुष्य को अपनी जीवनशैली के बारे में पुनर्विचार के लिये प्रेरित कर रही हैं और अब पर्यावरण संरक्षण और पर्यावरण प्रबंधन की आवश्यकता महत्वपूर्ण है। आज हमें सबसे ज्यादा पर्यावरण संकट के मुद्दे पर आम जनता को जागरूक करने की जरूरत है।
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