गंगा में अस्सी से राजघाट तक हरे शैवाल फिर जमा हो गए हैं। शैवालों के कारण गंगा का इकोसिस्टम एक बार फिर संकट में आ गया है। गंगा में हरे शैवाल की मौजूदगी ने नदी विज्ञानियों और प्रदूषण नियंत्रण विभाग की चिंताएं बढ़ा दी हैं। अधिकारियों का कहना है कि पिछली बार मिर्जापुर के पास से लोहिया नदी से ये शैवाल गंगा में आए थे, इस बार ये प्रयागराज से पहुंच रहे हैं।


गंगा में हरे शैवाल की मात्रा पिछले 24 घंटे में अचानक बढ़ गई है। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण विभाग और नमामि गंगे की ओर से घाट के किनारे रहने वाले मल्लाहों और स्थानीय लोगों को जागरूक किया जा रहा है। बीएचयू के वैज्ञानिकों ने पूर्व में आशंका जताई थी कि हरे शैवाल फिर से गंगा में आ सकते हैं। हरे शैवालों के कारण गंगा में ऑक्सीजन स्तर कम होता जा रहा हैयह गंगा में पलने वाले जीवों के लिए बड़ा संकट है। बीते सप्ताह हरे शैवाल आने के बाद प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने इसे अस्थायी समस्या बताकर जल्द ही स्थिति सामान्य होने की बात कही थी। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की प्राथमिक जांच में भी यह बात सामने आई थी कि गंगाजल में नाइट्रोजन और फास्फोरस की मात्रा निर्धारित मानकों से ज्यादा हो गई है।

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