माता-पिता के साथ संबंधों को शब्दों में बयां करना मुश्किल हो सकता है, लेकिन हर साल मनाए जाने वाले ग्लोबल पेरेंट्स डे का विशेष दिन बच्चों को माता-पिता के साथ अपने बॉन्ड को और मजबूत करने का मौका देता है। इस खास मौके पर मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी अपने माता-पिता का आभार व्यक्त किया उनके प्रति सोशल मीडिया पर अपने विचार साझा किए।
जीवन में माता-पिता का स्थान सभी रिश्तों से ऊपर होता है। एक बच्चे के जीवन में माता-पिता का होना बेहद जरूरी भी है क्योंकि माता-पिता ही एक बच्चे के नए जीवन की शुरुआत करते हैं, उसे अच्छे-बुरे के बारे में बताते हैं, जीवन में उसे कैसे आगे बढ़ना है आदि। इन सब बातों का ज्ञान एक बच्चे को उसके माता-पिता द्वारा ही मिलता है। ऐसे ही माता-पिता के सम्मान में दुनियाभर में मंगलवार (एक जून) को ग्लोबल पैरेंट्स डे यानी वैश्विक माता-पिता दिवस मनाया गया। इस विशेष दिन पर मास्टर-ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर ने भी अपने माता-पिता के प्रति प्रेम प्रकट किया और सोशल मीडिया पर उनके साथ अपनी एक तस्वीर साझा की।
इस दिन माता-पिता के प्रति प्रेम प्रकट कर सकते हैं
बता दें, ग्लोबल पेरेंट्स डे को मनाने की आधिकारिक घोषणा साल 2012 में यूएन जनरल असेंबली में हुई थी। ये दिन माता-पिता को समर्पित होता है और इस दिन माता-पिता के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। साथ ही पेरेंट्स द्वारा दिए गए बलिदानों के प्रति शुक्रिया कहा जाता है। इस दिन आप अपने माता-पिता के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं। वहीं, कई लोग इस दिन अपने पेरेंट्स को उपहार देकर इस दिन को खास बनाते हैं।
बता दें, ग्लोबल पेरेंट्स डे को मनाने की आधिकारिक घोषणा साल 2012 में यूएन जनरल असेंबली में हुई थी। ये दिन माता-पिता को समर्पित होता है और इस दिन माता-पिता के प्रति सम्मान प्रकट किया जाता है। साथ ही पेरेंट्स द्वारा दिए गए बलिदानों के प्रति शुक्रिया कहा जाता है। इस दिन आप अपने माता-पिता के प्रति अपना प्रेम प्रकट कर सकते हैं। वहीं, कई लोग इस दिन अपने पेरेंट्स को उपहार देकर इस दिन को खास बनाते हैं।
दिल को छू लेने वाला पोस्ट
इस विशेष दिन पर महान क्रिकेटर तेंदुलकर ने इंस्टाग्राम और टि्वटर पर अपने माता-पिता के लिए एक दिल को छू लेने वाला पोस्ट डाला। उन्होंने अपने परिवार के साथ एक तस्वीर शेयर की और माता-पिता द्वारा अपने व अपने भाई-बहनों के लिए किए गए बलिदानों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। दरअसल, सचिन ने लिखा, ‘माता-पिता का प्यार हमेशा बना रहता है, चाहे वह उनके बच्चों के बीच कितनी भी बार बंट जाए। उन्होंने मेरे और मेरे भाई-बहनों के लिए जो कुछ भी किया उसके लिए मेरे माता-पिता का हमेशा आभारी हूं।’
इस विशेष दिन पर महान क्रिकेटर तेंदुलकर ने इंस्टाग्राम और टि्वटर पर अपने माता-पिता के लिए एक दिल को छू लेने वाला पोस्ट डाला। उन्होंने अपने परिवार के साथ एक तस्वीर शेयर की और माता-पिता द्वारा अपने व अपने भाई-बहनों के लिए किए गए बलिदानों के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। दरअसल, सचिन ने लिखा, ‘माता-पिता का प्यार हमेशा बना रहता है, चाहे वह उनके बच्चों के बीच कितनी भी बार बंट जाए। उन्होंने मेरे और मेरे भाई-बहनों के लिए जो कुछ भी किया उसके लिए मेरे माता-पिता का हमेशा आभारी हूं।’
पिता से था गहरा नाता
मास्टर ब्लास्टर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई के दादर में रमेश और रजनी तेंदुलकर के घर हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय रमेश तेंदुलकर एक मराठी उपन्यासकार और कवि थे। उनकी मां एक बीमा कंपनी में काम करती थीं और रमेश तेंदुलकर की दूसरी पत्नी थीं। दरअसल, सचिन नाम रमेश के पसंदीदा संगीतकार सचिन देव बर्मन से लिया गया था। सचिन का अपने पिता से बचपन से ही गहरा नाता था। रमेश तेंदुलकर कीर्ति कॉलेज, प्रभादेवी में प्रोफेसर भी थे। यह उनके पिता की दूरदृष्टि और विचार की स्वतंत्रता थी जिसने 11 वर्षीय सचिन को सिर्फ अपने जुनून का पालन करने के लिए स्कूल बदलने की अनुमति दी।
मास्टर ब्लास्टर का जन्म 24 अप्रैल 1973 को मुंबई के दादर में रमेश और रजनी तेंदुलकर के घर हुआ था। उनके पिता स्वर्गीय रमेश तेंदुलकर एक मराठी उपन्यासकार और कवि थे। उनकी मां एक बीमा कंपनी में काम करती थीं और रमेश तेंदुलकर की दूसरी पत्नी थीं। दरअसल, सचिन नाम रमेश के पसंदीदा संगीतकार सचिन देव बर्मन से लिया गया था। सचिन का अपने पिता से बचपन से ही गहरा नाता था। रमेश तेंदुलकर कीर्ति कॉलेज, प्रभादेवी में प्रोफेसर भी थे। यह उनके पिता की दूरदृष्टि और विचार की स्वतंत्रता थी जिसने 11 वर्षीय सचिन को सिर्फ अपने जुनून का पालन करने के लिए स्कूल बदलने की अनुमति दी।
1999 में पिता को खो दिया
साल 1999 के आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में इंग्लैंड में खेलते समय सचिन को एक बड़ा झटका लगा, जब उन्हें अपने पिता के घातक दिल के दौरे के बारे में पता चला। वह अपने पिता के निधन से बहुत प्रभावित हुए लेकिन फिर भी वह राष्ट्र के लिए वापस आए और जिम्बाब्वे के खिलाफ शानदार 140 रन बनाए। यह वास्तव में भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे भावनात्मक क्षणों में से एक था, जब सचिन ने थ्री-फिगर के निशान तक पहुंचने के बाद आंसू भरी आंखों से आसमान की ओर देखा। उस समय यही समझा गया कि सचिन ने आसमान की ओर देखकर अपने पिता को याद किया।
साल 1999 के आईसीसी क्रिकेट विश्व कप में इंग्लैंड में खेलते समय सचिन को एक बड़ा झटका लगा, जब उन्हें अपने पिता के घातक दिल के दौरे के बारे में पता चला। वह अपने पिता के निधन से बहुत प्रभावित हुए लेकिन फिर भी वह राष्ट्र के लिए वापस आए और जिम्बाब्वे के खिलाफ शानदार 140 रन बनाए। यह वास्तव में भारतीय क्रिकेट के लिए सबसे भावनात्मक क्षणों में से एक था, जब सचिन ने थ्री-फिगर के निशान तक पहुंचने के बाद आंसू भरी आंखों से आसमान की ओर देखा। उस समय यही समझा गया कि सचिन ने आसमान की ओर देखकर अपने पिता को याद किया।
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