जहां बुनियादी सुविधाएं भी नहीं पहुंच पा रही हैं। उनका जीवन अभी भी अभाव और संघर्षों में उलझा हुआ है। शुक्रवार को मिर्जापुर जनपद के लालगंज थाना क्षेत्र के तिलांव गांव में उस समय लोगों के आश्चर्य का ठिकाना नहीं रहा, जब कुछ लोग चारपाई पर मरीज को मरणासन्न हालत में स्वास्थ्य केंद्र ले जा रहे थे।स्वास्थ्य केंद्र आठ किलोमीटर दूर था और मरीज की हालत बिगड़ती जा रही थी। इसलिए स्थिति की गंभीरता को देखते हुए उन लोगों ने लालगंज सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्थान पर झोलाछाप के यहां ही मरीज को दिखाया। उन्हें एंबुलेंस सुविधा के बारे में भी पता नहीं था और किसी के पास फोन भी नहीं था। ग्रामीण या पड़ोसी कोई भी उनकी मदद को आगे नहीं आया।क्षेत्र के तिलांव नंबर एक गांव के निवासी बीमार सत्तू (42) को अस्पताल तक पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिली तो परिजन चारपाई पर ही घर से आठ किलोमीटर दूरी स्थित अस्पताल ले जाने लगे। इस परिवार के सामने आई मुसीबत का न तो गांव के ग्राम प्रधान ने संज्ञान लिया और न ही प्रशासन ने।
पेट दर्द से कराह रहे सत्तू को परिजन आठ किलोमीटर की दूरी पर लालगंज अस्पताल तक जाने के लिए डोली खटोली से लेकर चल दिए। रास्ते में जितने भी राहगीर मिले, सभी लोग सहानुभूति जताते रहे पर किसी ने मदद नहीं की। परिजन आठ किलोमीटर दूर स्थित स्वास्थ्य केंद्र जा रहे थे पर मरीज की हालत बिगड़ने पर वे आसपास कोई आसरा तलाशने लगे। इसके बाद एक झोलाछाप के यहां इलाज कराने पहुंचे। पूछने पर परिजनों ने बताया कि मोबाइल फोन नहीं है और किसी ने एंबुलेंस के लिए फोन नहीं किया। हम लोगों को पता नहीं था कि एंबुलेंस मुफ्त में सेवा देती है।
पेट दर्द से कराह रहे सत्तू को परिजन आठ किलोमीटर की दूरी पर लालगंज अस्पताल तक जाने के लिए डोली खटोली से लेकर चल दिए। रास्ते में जितने भी राहगीर मिले, सभी लोग सहानुभूति जताते रहे पर किसी ने मदद नहीं की। परिजन आठ किलोमीटर दूर स्थित स्वास्थ्य केंद्र जा रहे थे पर मरीज की हालत बिगड़ने पर वे आसपास कोई आसरा तलाशने लगे। इसके बाद एक झोलाछाप के यहां इलाज कराने पहुंचे। पूछने पर परिजनों ने बताया कि मोबाइल फोन नहीं है और किसी ने एंबुलेंस के लिए फोन नहीं किया। हम लोगों को पता नहीं था कि एंबुलेंस मुफ्त में सेवा देती है।
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