लोक जीवन के भावों को बिरहा गायन में अभिव्यक्ति देने वाले पूर्वांचल के लोक कलाकारों ने बिहार की तरह कोरोना भत्ता देने की प्रदेश सरकार से मांग की है। उन्होंने सवाल उठाया है कि उनके ढोलक, करताल, मंजीरा, हारमोनियम जैसे साज कब तक खूंटी पर टंगे रहेंगे। क्या यूपी की सरकार, बिहार सरकार से भी गरीब है? बिहार सरकार ने लोक कलाकारों को दो हजार रुपये मासिक कोरोना भत्ता देने की घोषणा की है।यश भारती से सम्मानित उस्ताद विष्णु यादव ने कहा कि मंदिरों में शृंगार और वार्षिक अनुष्ठान पर होने वाले आयोजन करीब डेढ़ वर्ष से ठप हैं। अधिक पढ़े-लिखे न होने के कारण ये कलाकार ऑनलाइन आयोजनों से भी नहीं जुड़ पा रहे। वरिष्ठ गायक जवाहर लाल के अनुसार इस दौर में आकाशवाणी और दूरदर्शन ने भी उन्हें कार्यक्रम देने बंद कर दिए हैं। प्रदेश का संस्कृति विभाग ऑनलाइन कार्यक्रम करवा कर लखनऊ के कलाकारों को तो मदद दे रहा है लेकिन पूर्वांचल के कलाकारों से उसने मुंह फेर रखा है।

चर्चित बिरहा गायिका अनिता राज ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान संस्कृति विभाग ने लोक कलाकारों से उनका बायोडाटा मांगा था। कई कलाकारों के बायोडाटा विभाग को भेजे गए लेकिन एक साल बाद भी सरकार ने अब तक राहत की घोषणा नहीं की है। वरिष्ठ बिरहा गायक पन्नालाल ने कहा कि मार्च से अगस्त के बीच आयोजनों की भरमार होती थी। पिछले साल के बाद इस साल भी आधा सीजन गुजर चुका है लेकिन फूटी कौड़ी से भेंट नहीं हुई। भोलानाथ सोनकर ने बताया कि हमारी टीम के संगत कलाकारों की स्थिति और दयनीय हो गई है। सरकार को सबकी समस्या दिख रही है लेकिन लोक कलाकार उपेक्षित हैं।

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