बेटी के हाथ पीले करने से पहले गवानी पड़ी एक आंख 

       
         संवाददाता गिरजा शंकर गुप्ता
अम्बेडकरनगर। वैश्विक महामारी कोरोना काल में रिश्ते बेमानी होने और व्यथा के रोज मामले प्रकाश में आ रहे हैं। अब एक ऐसा मामला प्रकाश में आया जिसमें एक स्वास्थ्य कर्मी को अपने सहकर्मियों की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा है। उसकी आंख की रोशनी ही चली गई है। कन्यादान की तैयारी कर रहे हो वार्ड बॉय अमरनाथ को अपने सहकर्मियों ने ऐसा दर्द दिया कि बेटी के शादी के पहले उसे अपनी एक आंख गंवा देनी पड़ी।

जिले के भवानीपुर सुतहरपारा निवासी अमरनाथ पुत्र राम अचल महात्मा ज्योतिबा फुले संयुक्त जिला चिकित्सालय में वार्ड बॉय के पद पर तैनात हैं। साल 2006 में वार्ड बॉय के पद पर तैनात अमरनाथ बीते 16 अप्रैल को इमरजेंसी में ड्यूटी कर रहे थे। शाम करीब चार बजे ऑक्सीजन का सिलेंडर लगाते समय सिलेंडर के रेगुलेटर में ब्लास्ट हो गया था। ब्लास्ट से अमरनाथ की बांई आंख झुलस गई थी। तत्समय जिला अस्पताल के चिकित्सकों व स्टाफ ने अमरनाथ के इलाज में लापरवाही की। एक नेत्र सर्जन ने पल्ला झाड़ लिया। कहा कि लखनऊ के पहले इलाज संभव नहीं है। इससे इलाज में देरी हुई। 24 घण्टे बाद लखनऊ गए अमरनाथ के इलाज के बावजूद एक आंख की रोशनी चली गई। बताया गया कि अमरनाथ अगर लखनऊ समय से पहुंचा होता तो बांई आंख की रोशनी बच जाती। अब अमरनाथ एक आंख वाला हो गया है। आगामी 20 जून को उसकी बेटी की शादी है। अमरनाथ का दर्द केवल इतनी ही नहीं है कि वह कैसे अपनी बेटी की शादी की तैयारियां को पूरा करें वरन यह भी है कि कैसे जिला अस्पताल का स्टाफ अपने ही कर्मचारी के साथ इस तरह की लापरवाही करता है। ऐसे में यह समझा जा सकता है कि आम आदमी के साथ जिला अस्पताल के स्टाफ का कैसा रवैया रहता होगा। वार्ड बॉय अमरनाथ के केवल बेटियां ही हैं। बेटा नहीं है।

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