✍️ *कठिनाइयों से घबराएं नहीं*
बहुत समय पहले की बात है, एक शिल्पकार मूर्ति बनाने के लिए किसी जंगल में पत्थर ढूंढने के लिए गया। वहां उसे एक बहुत अच्छा पत्थर मिल गया।
पत्थर लेकर वापस घर आते वक्त रास्ते में से उसने एक और पत्थर साथ में उठा लिया। घर आकर अच्छे वाले पत्थर को मूर्ति बनाने के लिए हथौड़ी और छेनी से उस पर कारीगरी करने लगा।
जब शिल्पकार की छेनी और हथौड़ी से पत्थर को चोट लगने लगी तो पत्थर दर्द से कराहते हुए शिल्पकार से बोला--- “अरे भाई, मुझ से यह दर्द सहा नहीं जाता। ऐसे तो मैं बिखर जाऊंगा। तुम किसी और पत्थर की मूर्ति बना दो।"
पत्थर की बात सुनकर शिल्पकार को दया आ गयी। उसने उस पत्थर को छोड़कर रास्ते से उठा कर लाये गये दूसरे पत्थर की गढ़ाई शुरू कर दी। दूसरा पत्थर कुछ भी नहीं बोला। शिल्पकार ने थोड़े ही समय में उससे एक प्यारी सी भगवान की मूर्ति बना दी।
पास के गांव के लोग तैयार मूर्ति को लेने के लिए आये। मूर्ति को लेकर निकलने ही वाले थे कि उन्हें खयाल आया कि नारियल फोड़ने के लिए भी तो एक पत्थर की जरूरत पड़ेगी। वहीं पर रखा पहले वाला पत्थर भी उन्होंने अपने साथ ले लिया।
मूर्ति को उन्होंने एक मन्दिर में सजा दिया और पहले वाले पत्थर को भी सामने रख दिया।
मन्दिर में जब भी कोई व्यक्ति दर्शन करने आता, तो मूर्ति पर फूल-माला चढ़ाता, दूध से नहलाता, उसकी पूजा करता और सामने रखे पत्थर पर नारियल फोड़ देता।
अब पहले वाले पत्थर को प्रतिदिन दर्द सहना पड़ता था।
उसने मूर्ति वाले पत्थर से कहा---"तुम्हारे तो मजे ही मजे हैं। रोज फूल माला से सजते हो और तुम्हारी पूजा भी होती है। मेरी तो किस्मत ही खराब है। रोज मुझी पर लोग नारियल फोड़ते हैं और मुझे दर्द सहना पड़ता है।”
पहले वाले पत्थर की बात सुनकर मूर्ति बने पत्थर ने कहा--"देख दोस्त, अगर उस दिन तुमने शिल्पकार के हाथ का दर्द सह लिया होता तो आज तुम्हें यह दिन नहीं देखना पड़ता और मेरी जगह पर तुम होते। लेकिन तुमने तो थोड़े से दर्द को न सहकर आसान वाले रास्ते को चुना। अब तुम उसी का नतीजा भुगत रहे हो।"
शिक्षा :--- दोस्तों, हमारे जीवन में भी कई प्रकार की कठिनाइयां आती हैं। बहुत सारा दर्द भी झेलना पड़ता है। लेकिन हमें इनसे डरकर पीछे नहीं हटना है। बल्कि इन परिस्थितियों का डटकर मुकाबला करना है। ये विपरीत परिस्थितियां ही हमें मजबूत बनाती हैं। जिससे हम अपनी मञ्जिल के और ज्यादा करीब पहुंच पाते हैं।
💪💪💪🌱🌱💪💪💪---**डाक्टर ए०के०श्रीवास्तव, अयोध्या ब्यूरो चीफ*
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