कोरोना की दूसरी लहर में मौतों से आयी लोगों में खौफ अनलॉक के पहले दिन गायब दिखी। सोमवार को कर्फ्यू से छूट मिली तो सड़क से लेकर दुकानों में फिर से सोशल डिस्टेंसिंग टूटती दिखी। मास्क के इस्तेमाल को लेकर भी लोग बेपरवाह रहे। रेस्टोरेंट भले ही बंद रहा, लेकिन भीड़ बाहर दिखी। न तो व्यापारियों में कोरोना की दहशत दिखी, और न ही ग्राहकों में। फिर लोग बेफिक्र घूमते नजर आये।सबसे ज्यादा भीड़ रेडिमेड कपड़े, जूता और ज्वेलरी की दुकानों पर मिली। जैसे लगा कि कितने माह बाद लोग दुकानों पर पहुंचे हैं। दुकानदार भी कमाई के चक्कर में केवल सेनेटाइजर के जरिए कोविड का पालन कराते दिखे। महज कुछ ही दुकानों के बाहर लाइन खींच या रस्सी लगाकर ग्राहकों को सामान दिया जा रहा था। कपड़े, गाड़ियों व फर्नीचर के शो-रूम के सामने गाड़ियों की लम्बी कतार दिखी। सुबह 11 बजे ही भोजूबीर से गिलट बाजार तक जाम लगा रहा। वहीं, नदेसर में गाड़ियों की मरम्मत कराने के लिए फिर से आधी सड़क पर कब्जा रहा। अंधरापुल से लहुराबीर तक दुकानों के बाहर भीड़ लगी रही। खरीदारी के उत्साह को देखकर यह साफ-साफ लग रहा था कि किसी को कोरोना को लेकर कोई दहशत नहीं है। जबकि अभी दो माह पहले ही जो भयावह स्थिति रही। उससे हर व्यक्ति में दहशत थी।


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