अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती ने शनिवार को वाराणसी में कहा कि अल्पसंख्यक वोट की राजनीति में छोटे मंदिरों के पुजारी और सेवादारों को दरकिनार कर दिया गया है। कोरोना संक्रमण काल में मौलवी और पादरियों को वेतन मिल रहा है लेकिन पुजारी और सेवादार बेहाल हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस की दूसरी लहर में देश भर के मठ और छोटे मंदिर बंद हैं। बड़े मंदिरों पर सरकारों का कब्जा है।
ऐसे में सरकार यह बताए कि इन छोटे मठ-मंदिरों के पुजारी और सेवादार अपना और अपने परिजनों का पेट कैसे भरें? जब मंदिर में श्रद्धालु आएंगे नहीं और चढ़ावा चढ़ेगा ही नहीं तो पुजारी और सेवादार क्या करें? इनके बारे में भला कौन सोचेगा? इनका परिवार कैसे पलेगा?
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