अंबेडकरनगर हस्तिनापुर की सभा में दुशासन द्रौपदी का चीर खींच रहा था। कातर दृष्टि से द्रौपदी कभी अपने महाबलशाली पतियों को देख रही थी तो कभी पितामह भीष्म और गुरु द्रोणाचार्य को। सक्षम होने के बावजूद कोई भी हाथ द्रौपदी का सम्मान बचाने के लिए आगे नहीं बढ़ा। अन्तत: उसने कृष्ण को पुकारा और उन्होंने नारी सम्मान की रक्षा की। हम सभी जानते हैं कि इस घटना की परिणति कालांतर में महाभारत युद्ध के रूप में हुई।
एक बार जनपद अंबेडकर नगर में इतिहास फिर दोहराया गया। मानवता को शर्मसार और कलंकित करने वाली यह घटना समूह के लोगों ने जनपद मुख्यालय पर घर में घुसकर एक महिला के वस्त्रों को सरेआम तार-तार कर दिया। महिला को बुरी तरह सड़क पर घसीटा गया। महिला चीखती-चिल्लाती रहीं लेकिन उनकी मदद के लिए कोई भी आगे नहीं आया। महिला का शरीर ढाँकने के बजाय मोबाइल और कैमरों से उसके फोटो खींचते रहे। समाचार पत्रों और चैनल ने भी इस 'चीरहरण' का प्रसारण कर पूरे देश को शर्मसार कर दिया। पीड़ित महिला संगीता पत्नी बबलू चौरसिया निवासी फतेहपुर पकड़ी के द्वारा बताया गया कि समूह के द्वारा संगीता ने लगभग 1 वर्ष पहले ₹25000 ले रखा था जिस की किस्त 15 दिन में 11 सो रुपए जमा करनी थी जो संगीता द्वारा दिया जाता रहा। संगीता ने मार्गदर्शक फाइनेंस के ब्रांच मैनेजर विपिन सिंह तथा ब्रांच के कर्मचारी अजय से फरवरी 2021 में यह कहा गया की पासबुक पर पहले 4 महीने का जो भुगतान हमारे द्वारा दिया गया है उसको इंट्री कर पासबुक दिया जाए तो इनके द्वारा नहीं दिया गया। उसके बाद से संगीता ने पैसा देने से इनकार कर दिया और यह कहा कि जब तक हमारे पास आप को भुगतान किए गए धन की रसीद या पासबुक पर रिसिविंग नहीं होगी तब तक हमारे द्वारा भुगतान नहीं किया जाएगा उस दौरान मार्गदर्शक फाइनेंस के कार्यकर्ताओं द्वारा पासबुक को फाड़ कर फेंक दिया गया। फरवरी महीने के बाद दो बार घर पर आकर गाली गलौज देकर जबरन पैसा जमा करने की बात इन लोगों द्वारा की गई। पीड़िता संगीता द्वारा एक ही बात कहा जाता रहा की मेरे जमा किए हुए पैसों की रिसीविंग आप दे दीजिए उसके पश्चात हम अगला भुगतान आपको दे रहे हैं। 12 जून 2021 की सुबह लगभग 8:00 बजे लगभग 10 -12 लोगों के साथ घर पर आ धमके और घसीट कर मारे-पीटे। जिसकी तहरीर पीड़ित महिला द्वारा कस्बा चौकी शहजादपुर को दी गई। इसके पश्चात दोनों पक्षों को कोतवाली अकबरपुर बुलवाया गया और कोतवाली अकबरपुर ने इस निर्लज्जता का 151 में चालान कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर दी। यह कहकर पीड़ा होती है कि क्या हम उसी संस्कृति सम्पन्न देश में रहते हैं, जहाँ कहा जाता रहा है कि 'जहाँ नारियों की पूजा होती है, वहाँ देवता वास करते हैं'। इस घटना से तो यही लगता है कि हमने नारी सम्मान को ताक पर रख दिया है। यही कारण है कि समाज में शैतान वास करने लगे हैं।आज के इस दौर में नहीं हैं तो वो वासुदेव, जो समाज की विकृतियों से लड़कर अबलाओं का 'चीरहरण' रोक सकें। ऐसे में बरबस ही मन कह उठता है- हे माधव! अब कौन बचाएगा द्रौपदियों को।

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