औरैया // 25 वर्षीय विकास की शिक्षा इंटरमीडिएट तक ही है, लेकिन हुनर कमाल का है दो साल डेयरी में कर्मचारी रहने के बाद अब अपनी डेयरी का मालिक है परदेस में रहकर जितना कमाते थे, घर में रहकर उससे चौगुना कमाने के साथ कई परिवार को रोजगार दे रहे हैं मंगलवार को चली तेज हवा, मौसम हुआ सुहावना कोरोना की पहली लहर में विकास कुमार ने स्वरोजगार व आत्मनिर्भर बनने की नींव रखी थी सही समय पर लिया गया निर्णय आज विकास के सपनों को साकार कर रहा है तीन साल पहले विकास दोस्तों के साथ जयपुर चले गए थे वहां डेयरी उद्योग में काम करके काम करने लगे। तब उन्हें दस हजार रुपये मिलते थे। खोया, पनीर, दही, घी, छाछ को मशीनों से बनाना और पैकिग करना सीख लिया। जयपुर रहकर ज्यादा तो नहीं कमा सके लेकिन हुनर-अनुभव दोनों ही कमा लिया। जो उनके सपनों को साकार कर रहे हैं दो माह खाद्य प्रसंस्करण का प्रशिक्षण प्राप्त कर प्रमाण पत्र हासिल किया। डेयरी लगाने की योजना में डेढ़ दो लाख रुपये जुटाए। मशीनें मंगाकर काम शुरू किया। गांव के दूधियों से दूध लेकर उत्पाद बनाना शुरू किया। कोरोना की दूसरी लहर में हौसलों को उड़ान मिली। वह एक क्विटल दूध का पनीर, घी, दही आदि बनाकर बिक्री कर देते हैं। रोजाना 10 किलो घी, 50 किग्रा पनीर की खपत है। इस समय बाजार धीमा है। धीरे-धीरे सामान्य होने पर कारोबार और भी बढ़ जाएगा। अभी करीब 60 हजार रुपये प्रतिमाह कमा लेते हैं एक जिला एक उत्पाद में घी को देंगे बढ़ावा विकास का कहना है कि दुग्ध कारोबार में वह अपने जिले के उत्पाद घी को बढ़ावा देंगे। खाद्य प्रसंस्करण के जिला प्रभारी राजीव शुक्ल ने बताया कि सरकारी अनुदान एक लाख रुपये विकास को दिलाया जा चुका है। कारोबार को आगे बढ़ाने में विकास की पूरी मदद की जाएगी।

ब्यूरो रिपोर्ट - जे एस यादव 

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