रोजी रोटी की तलाश में गरीब घर से निकलकर दिन भर सड़कों पर भटकता रहता है लेकिन सारा दिन मेहनत करने के बाद भी परिवार के गुजारा लायक कमाई नहीं हो पाती। इससे पेट भरने के लाले पड़ गए हैं।
कुछ ऐसा ही हाल है रिक्शा चालकों का, ई- रिक्शा चलन में आने से सादा रिक्शा का वजूद खत्म सा हो रहा है।ई- रिक्शा लेने के लिए गरीब असहाय लोगों के पास धन नहीं है और सरकार द्वारा दिए जाने वाले ई रिक्शा का कुछ पता नहीं। ज्यादातर किराये का ही रिक्शा चलाकर परिवार का गुजारा करते हैं अफसोस की बात यह है कि इन गरीब वर्ग के लोगों को कोई सरकारी सुविधा का लाभ तक नसीब नहीं हुआ है।
इससे रिक्शा चालक भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं।तप्ती धूप में सवारी खुले रिक्शे में बैठना पसंद नहीं करती वहीं ई रिक्शा चालक पांच से छह सवारी लेकर चले जाते हैं और सादा रिक्शा वाले मुंह ताकते रह जाते हैं। बात चीत से पता चला कि रिक्शा चालकों का सबसे ज्यादा आरोप यह है कि ई- रिक्शा और सादा रिक्शा के लिए क्षेत्र बांट दिए जाएं जिससे रोजी रोटी कमा सकें। उतरौला कस्बे के अलिफजोत छिपिया निवासी रिक्शा चालक हैदर अली ने बताया कि सुबह घर से कमाने के लिए निकलते हैं रिक्शा किराये पर लेना पड़ता है जिसका किराया 50रूपये प्रतिदिन देना होता है परिवार में 6सदस्य हैं जिनका गुजारा रिक्शा चलाकर ही करना पड़ता है।ई रिक्शा चलने की वजह से सारा दिन मेहनत करके सौ एक सौ बीस रुपए बचते हैं
इससे परिवार का गुजारा करना मुश्किल हो रहा है रिक्शा चलाते हुए कई साल हो चुके हैं ई रिक्शा आने से पहले परिवार का गुजारा सही चल रहा था गरीबी के चलते रिक्शा तक अपना नहीं ले पाया और अब परिवार का गुजारा मुश्किल हो गया है ऐसे में बच्चों का पेट भरने के लाले पड़ गए हैं।
असगर अली
उतरौला
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