आगरा ||
योग आत्मा का विषय है जो स्वानुभूति कराता है। मानव के विचारों को एकाग्र कर भौतिक से सूक्ष्म,सूक्ष्म से अतिसूक्ष्म तक ले जाकर आत्मीय-बोध कराता है। 


विश्व योग दिवस पर अपने महत्वपूर्ण विचार व्यक्त करते हुऐ यस वी केन संस्था के संरक्षक व वरिष्ठ समाजसेवी चन्द्रवीर सिंह ने संवाददाता वार्ता में बताया कि योग का संबंध अंत:करण और बाह्य दोनों से है। योग एक व्यवस्थित नियम को प्रतिपादित करता है। योग शरीर को अनुशासित ढंग से रखता है। मन को उद्देश्यपूर्ण दिशा में चलने का बोध देता रहता है। योग एक प्रयोग भी है, क्योंकि यही मनुष्य को प्रकृति के अनुकूल चलने के लिए प्रेरित करता है। विचार गति है, भाव उत्पत्ति है और शब्द अभिव्यक्ति है। योग में सबका अपना महत्वपूर्ण योगदान है। यह पूरी तरह से शरीर के धर्म का प्रकृति के अनुकूल बोध कराता है। मानव शरीर में ही संपूर्ण ब्रह्मांड का वैभव छिपा है। जिसे पहचानना और जानना आवश्यक है। संपूर्ण ब्रह्मांड की चेतना और प्रारूप को पाकर भी मानव सांसारिक वाटिका में भटकता रहता है। योग जीवन का अंग है , इससे असाध्य से असाध्य रोगो का इलाज संभव है। इसलिए योग को माध्यम बनाकर आज और अभी से शरीर रूपी प्रयोगशाला का उपयोग कर सदैव संकल्पित स्वरूप को प्राप्त कर स्वस्थ्य,निरोगी और सुखमय जीवन जिएँ। प्रकृति , सनातन धर्म की परंपराओं, ऋषि मुनि व पूर्वजों का भार ज्ञपित करें और प्रतिदिन योग और पेड़-पौधो कि देखभाल रोपण करें ,प्रकृति की गोद में पुत्रवत बैठे और उसका सम्मान करें। योग का पहला सूत्र है कि जीवन ऊर्जा है, लाइफ इज़ एनर्जी। जीवन शक्ति है। बहुत समय तक विज्ञान इस संबंध में राजी नहीं था,अब राजी है, लेकिन विगत तीस वर्षों में विज्ञान को एक-एक कदम योग के अनुरूप जुट जाना पड़ा है। वर्ष 2015-16 के लगभग योग की क्रियाओं के लिए वैज्ञानिक प्रभाव पर भारत के वैज्ञानिक जुटे और प्रयोग किया गया, अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाए जाने के ऐलान से बहुत पहले से एक डिफेंस लैब में कुछ विज्ञानीयों ने योग पर रिसर्च किया। ये जानने की कोशिश कर की कि आखिर योग के पीछे का विज्ञान क्या है..? सरकार द्वारा एवं सेनाओ व अन्य बालों में योग को नियमित करने से पहले एक छोटी सी रक्षा शोध लैबोरेट्री योग के पीछे के विज्ञान को समझने की कोशिश कर रही है। यहां आधुनिक हाईटेक मशीने जुड़ी हैं और इसके जरिए योग के आसनों के दौरान दिल की धड़कनों, ईसीजी, सांस लेने के पैटर्न और तंत्रिकाओं पर होने पर असर पर नज़र रखी जा रही है। ये सारी कवायद पौराणिक जानकारियों से आधुनिक विज्ञान को जोड़ने की है और यह सत्य सिद्ध हुई।

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