नौकरी से निकाल दिए जाने के डर से उन्होंने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया लेकिन बंद कैमरे के पीछे उन्होंने कालाबाजारी के पूरे खेल को समझाया
मथुरा || जिले में रसोई गैस की होम डिलीवरी में उपभोक्ताओं की जेब कट रही है। पूरा खेल जिला पूर्ति विभाग की मिलीभगत से चल रहा है। हॉकरों द्वारा घर तक सिलेंडर पहुंचाने के एवज में अलग से रुपये लिए जा रहे हैं।
रसोई गैस सिलेंडर को होम डिलीवरी के नाम पर जिले में पूर्ति विभाग की मिलीभगत से लाखों रुपए के वारे न्यारे हो रहे हैं। बता दें कि, महंगी गैस के साथ उपभोक्ताओं से होम डिलीवरी का चार्ज भी अलग से वसूला जा रहा है। गैस एजेंसी मालिक, हॉकरों को कोई भी मेहनताना नहीं देते हैं, जबकि होम डिलीवरी का चार्ज सिलेंडर की कीमत से जुड़ा होता है।
गैस एजेंसियों से घर तक गैस ले जाने वाले हॉकरों को न तो मानदेय दिया जाता है और न ही कमीशन। हॉकर उपभोक्ताओं से होम डिलीवरी के बदले 50 से 70 रुपये वसूल रहे हैं। जिससे उपभोक्ताओं की जेब कट रही है। इस समय रसोई गैस की कीमत करीब 850 रुपये है, इसमें 27.6 0 होम डिलीवरी चार्ज भी शामिल है।
इसके बाद भी हॉकर उपभोक्ताओं से अतिरिक्त 50 से 70 रुपये वसूल रहे हैं।
मथुरा जिले में करीब दो लाख सिलेंडर की प्रतिमाह खपत है। जानकारी के तहत एक सिलेंडर की कीमत 27.60 रुपए डिलीवरी चार्ज जुड़ा होता है। ऐसे में 27.60 प्रति सिलेंडर करके चार्ज को जोड़ा जाए तो 55 लाख प्रतिमाह एजेंसी मालिक डकार रहे हैं, उधर उपभोक्ता को होम डिलीवरी का दोगुना चार्ज देना पड़ रहा है। यह खेल पूर्ति विभाग की मिलीभगत से चल रहा है। हॉकर बताते हैं कि, एजेंसी मालिक कुछ नहीं देते हैं तो ऐसे में परिवार का पेट पालने के लिए उपभोक्ताओं से ही रुपए लेना मजबूरी है। हालांकि नौकरी से निकाल दिए जाने के डर से उन्होंने कैमरे के सामने आने से मना कर दिया लेकिन बंद कैमरे के पीछे उन्होंने कालाबाजारी के पूरे खेल को समझाया।
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