निराला, नागार्जुन और मुक्तिबोध की काव्य संवेदना को विस्तार देने वाले काशी के कवि ज्ञानेंद्रपति को पांचवें नागार्जुन स्मृति सम्मान के लिए चुना गया है। यह निर्णय बुधवार को जनकवि‍ नागार्जुन स्‍मृति सम्‍मान नि‍र्णायक समि‍ति की आभासी बैठक में हुआ।नि‍र्णायक समि‍ति में प्रख्यात आलोचक मैनेजर पाण्‍डेय, मदन कश्‍यप, उपेन्‍द्र कुमार, संजय कुन्दन एवं देवशंकर नवीन शामिल हैं। इस से पहले जनकवि नागार्जुन स्‍मृति सम्‍मान से हिंदी के वरिष्ठ कवि नरेश सक्‍सेना, राजेश जोशी, आलोक धन्वा और वि‍नोद कुमार शुक्‍ल सम्मानित हो चुके हैं। ज्ञानेंद्रपति को मानपत्र, अंगवस्त्रम्, स्मृति चिह्न और सम्मान राशि के रूप में 21 हजार रुपये दिए जाएंगे। यह सम्मान प्रतिवर्ष 24 जून को बाबा नागार्जुन की जन्मतिथि पर दिया जाता है लेकिन समारोह का आयोजन स्थिति सामान्य होने पर काशी में होगा।

ज्ञानेन्द्रपति को वर्ष 2006 में ‘संशयात्‍मा कविता संग्रह पर साहित्य अकादमी पुरस्कार मिल चुका है। इसके अलावा उन्हें ‘पहल सम्‍मान, ‘बनारसीप्रसाद भोजपुरी सम्‍मान, ‘शमशेर सम्‍मान सहित अनेक प्रतिष्ठित सम्मान और पुरस्कार प्रदान मिल चुके हैं। अपनी अनूठी काव्यभाषा के लिए चर्चित ज्ञानेंद्रपति का जन्म एक जनवरी 1950 को पथरगामा, झारखंड में हुआ। ‘आंख हाथ बनते हुए, ‘शब्द लिखने के लिए ही यह कागज बना है, ‘गंगातट, ‘संशयात्मा, भिनसार कविता-संकलन प्रकाशित हैं। इसके अलावा पढ़ते-गढ़ते (कथेतर गद्य), एक चक्रानगरी (काव्य-नाटक) कवि ने कहा (कविता संचयन) पुस्तकें भी प्रकाशित हैं।

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