मीरापुर निवासी प्रिया सहगल ने आक्सीजन बैंक के लिए अपने घर की छत पर ही खूबसूरत बगिया बना ली हैं। इस बगिया में लगभग हर प्रजाति के पौधे हैं। वह घर की साग-सब्जी एवं फल के छिलके को कूड़े में फेंकने के बजाय छत पर ही उससे कंपोस्ट खाद बनाती हैं और उस खाद को पौधों की वृद्धि के लिए उपयोग करती हैं। उनका मानना है कि बच्चों का पालन-पोषण किसी भी व्यक्ति का सबसे बड़ा सरोकार होता है। लेकिन, पर्यावरण के दूषित होने के कारण ही हमारा और बच्चों का स्वास्थ्य जोखिम भरा होता जा रहा है। सूखे तालाब में यदि कुछ हजार अथवा लाख लोग सिर्फ एक-एक पानी डालें तो तालाब लबालब भर जाए। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए वह भी बहु प्रजातीय पौधों से एक बगिया सजाई हुई हैं। इनकी बगिया में फल-फूल के अतिरिक्त औषधीय, पत्तेदार एवं कैक्टस के पौधे हैं। वह कहती हैं जमीन की अनुपलब्धता के कारण हम अपनी छत, वाल्कनी अथवा किसी रोशन कोने में ही गमलों में पौधे उगा सकते हैं। इन्होंने इस अभियान का नाम रखा है नेचर, नेचर। वह अपने इस अभियान को पांच मंत्रों रिफ्यूज, रिड्यूज, रीयूज, री-पर्पज और रिसाइकिल के भरोसे आगे बढ़ा रही हैं। तरह-तरह और बहुरंगी पौधों के बीच इनके द्वारा निॢमत फौव्वारा बहुत सम्मोहक है। वह कई लोगों के बगीचों और छतों को सुंदर व आकर्षक बना चुकी हैं।
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