पियरी क्षेत्र में टेरेंटूला समूह की मकड़ियां मिलने से लोगों में दहशत है। पहली बार विशालकाय मकड़ियां देखकर परिवार के लोग सहमे हुए हैं। बीएचयू के प्राणि विज्ञानियों ने इनको विषैली प्रजाति का बताया है और सभी को सावधान रहने की जरूरत है। 


प्रत्यक्षदर्शी चेतगंज निवासी प्रशांत अग्रहरि ने बताया कि शुक्रवार को सुबह अचानक इनकी नजर घर के कोने में पड़ी तो वह चौंक गए। इसके पहले उनके परिवार में किसी ने भी इतनी बड़ी मकड़ी नहीं देखी थी। दो मकड़ियां थीं जिसमें से एक पांच इंच और दूसरी मकड़ी का आकार नौ इंच का था। मकड़ियों पर शोध करने वाले असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. ध्रुव चंद्र धली ने बताया कि यह मकड़ियां काइलोब्रेकिस वंश की हैं। यह विषैली होती है और नमीयुक्त मिट्टी में रहती हैं। यह रात्रिचर जीव हैं जो अन्य कीटों का भक्षण करती हैं।काशी हिंदू विश्वविद्यालय के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. भूपेंद्र कुमार ने बताया कि काइलोब्रेकिस वंश की मकड़ियां भारत के विभिन्न राज्यों में पाई जाती हैं। बनारस में पूर्व में इनको संज्ञान में नहीं लिया गया है या लोग इनके प्रति अधिक जागरूक नहीं हैं। यह मौसम इनके प्रजनन का है और रात्रिचर होने के कारण यह रात्रि में दिखायी दे रही हैं। क्योंकि यह विषैली मकड़ियां हैं, इसलिए लोगों को इनके प्रति सचेत रहने की आवश्यकता है। इनका विष शरीर में सूजन, संक्रमण तथा तेज बुखार उत्पन्न कर सकता है।

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