नगर पालिका द्वारा चलाया जा रहा खुले में शौचमुक्त अभियान व स्वच्छ भारत अभियान खोखला साबित हो रहा है। उतरौला नगर में तहसील परिसर सहित अन्य स्थानों पर मोबाइल टॉयलेट भी रखवा दिए गए। लेकिन रखने के बाद आज तक नपा के किसी कर्मचारी ने उनकी सुध तक नहीं ली। यही हालात शहर में रखे दर्जनों मूत्रालय व कूड़ेदानों के हैं। एक भी कूड़ेदान का पता नहीं है। यह अभियान अब गुजरे दिनों की बात हो गई है। तहसील परिसर में रखा दो जोड़ी मूत्रालय रखरखाव के अभाव में निष्प्रयोज्य साबित हो रहा है। मोबाइल टॉयलेट को घास, फूस, झाड़ी,झनखाड़ीयों ने चारों ओर से कैद कर लिया है।
अब यह विषैले जानवरों का बसेरा बनकर रह गया है।
शौचालय ना होने के कारण तहसील कचहरी में आने वाले खासकर महिलाओं को बेहद शर्मिंदगी उठानी पड़ती है।
इसी तरह मुख्य चौराहों पर एक भी मोबाइल टायलेट व युरिनल न होने से राहगीरों व दुकानदारों को आए दिन शर्मसार होना पड़ता है।
नगर में जगह जगह रखे गए डस्टबिन भी लोगों की जागरूकता के अभाव में सफेद हाथी ही साबित होकर खुद कूड़े में मिल गए। हद तो तब हो जाती है जब सरकारी कर्मचारी व इस मिशन से जुड़े लोग खुले में पेशाब करते हुए देखे जा सकते हैं।
समाजसेवी आदिल हुसैन,चौधरी इरशाद अहमद गद्दी का कहना है कि मोबाइल टायलेट लोगों की समझ से बाहर है। इससे अच्छा तो कुछ ही स्थाई शौचालय बना दिए जाते तो अच्छा था।
अधिशासी अधिकारी अवधेश वर्मा ने बताया कि नगर पालिका में एक मोबाइल टॉयलेट व छ जोड़ी युरीनल विभिन्न स्थानों पर लगवाए गए हैं। जरूरत पड़ने पर मोबाइल टॉयलेट उपलब्ध कराया जाता है।
असगर अली
उतरौला
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