अवैध निर्माणों की हकीकत विकास प्राधिकरण के एरियल सर्वे के दस्तावेजों में दर्ज है। 22 साल पहले करीब एक हजार पेज के रिकार्ड को अधिकारियों व कर्मचारियों की मिलीभगत से फाइलों में दबा दिया गया है, जबकि एक हजार शीट में वाराणसी विकास प्राधिकरण सीमा क्षेत्र का डिजिटल हवाई फोटोग्राफ्स नियोजन विभाग में मौजूद है। मगर, अवैध निर्माणों को चिह्नित और कार्रवाई में वीडीए अपने ही इस महत्वपूर्ण रिकार्ड का उपयोग नहीं करता है।अवैध निर्माण करने वाले यह दलील देते हैं कि हमारा निर्माण पुराना है और हमने बरसात से बचने के लिए सिर्फ मरम्मत का कार्य कराया है। शहर के करीब 10 हजार से ज्यादा भवन शमन होने के इंतजार में हैं और विकास प्राधिकरण 25 हजार से ज्यादा अवैध निर्माणों को चिह्नित कर चुका है।  बावजूद इसके एरियल नक्शे के रिकार्ड के आधार पर अब तक एक भी अवैध निर्माण को न तो चिह्नित किया गया और ना ही उस पर किसी तरह की कार्रवाई हुई। यहां बता दें कि 25 फरवरी 1999 को का हवाई सर्वे कराया गया था, जिससे उस समय के शहर के विकास और निर्माण की स्थिति डिजिटल फोटोग्राफ्स के रूप में संरक्षित कर लिया गया था।
मगर, इस महत्वपूर्ण दस्तावेज को उपयोग में नहीं रखा गया। उस समय के फोटो रिकार्ड में हैं और दोनों फोटोग्राफ्स की तुलना कर अवैध निर्माण का बहुत आसानी से पता लगाया जा सकता है।एरियल नक्शों से 22 साल पहले शहर में ग्रीन बेल्ट का भी पता लगाया जा सकता है, जो अब दिन पर दिन घटता ही जा रहा है। नक्शों को देखने से पता चलता है कि 22 साल पहले शहर में पेड़ काफी संख्या में थे। अंधाधुंध शहरीकरण के कारण पेड़ों को काटकर घर बना लिया गया।

बनारस बार के पूर्व महामंत्री नित्यानन्द राय व अधिवक्ता मिलिन्द श्रीवास्तव को वीडीए के रिकार्ड में एरियल नक्शे की जानकारी मिली तो उन्होंने जनवरी माह में ही एरियल सर्वे के शीट के मुआयने का प्रार्थना पत्र दिया था। उनके प्रार्थना पत्र पर यह रिपोर्ट लगा दी गयी कि शीट जीर्ण शीर्ण अवस्था में है और मुआयना नहीं कराया जा सकता। एक अप्रैल को वीसी इशा दुहन से शिकायत के बाद उन्हें एरियल नक्शों का मुआयना कराया गया।

वीडीए वीसी ईशा दूहन ने कहा कि एरियल नक्शे सुरक्षित हैं और उनका अध्ययन कराया जाएगा। 22 साल में हुए शहर के बदलाव के आधार पर अवैध निर्माणों को भी चिह्नित किया जाएगा।

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