बाराबंकी। प्रदेश सरकार द्वारा सौ वर्ष या उससे अधिक पुराने वृक्षों को विरासत (हेरिटेज) के रुप में संजोए जाने की घोषणा की गई थी। जिस पर वन विभाग ने पारिजात समेत 15 वृक्षों को सूचीबद्ध करते हुए एक प्रस्ताव तैयार कर जैव विविधता बोर्ड लखनऊ को भेजा था। जिस पर एक सप्ताह में मुहर लगने की बात वन विभाग के अधिकारी कह रहे हैं।
विरासत के रुप में इन वृक्षों की बाकायदा बुकलेट भी तैयार की जा रही है। जिले के इन वृक्षों के इतिहास, लोकेशन और अन्य संबंधित विवरण इंटरनेट पर जल्द ही दिखेगा। इसके साथ ही अयोध्या के निकट होने का भी जिले को काफी फायदा पहुंचेगा। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी लोग अयोध्या में राम मंदिर के साथ इन वृक्षों को देखने आएंगे।सौ वर्ष या उससे अधिक पुराने वृक्षों को वन विभाग द्वारा विरासत के तौर पर संजोने की शुरुआत हो चुकी है। सिरौलीगौसपुुर क्षेत्र के पारिजात और रामनगर ब्लॉक के ददौरा के बरगद वृक्ष सहित 15 वृक्षों को सूचीबद्ध कर वन विभाग ने कई माह पहले एक प्रस्ताव तैयार कर जैव विविधता बोर्ड लखनऊ भेजा था। जिस पर मुहर लगने के बाद वन विभाग इन चिह्नित वृक्षों की पूरी जिम्मेदारी के साथ इनकी देखभाल करेगा, सौंदर्यीकरण भी कराएगा।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक सप्ताह के अंदर बोर्ड द्वारा प्रस्ताव पर मुहर लगने के आसार हैं। इसके बाद इन 15 वृक्षों की एक बुकलेट भी छप रही है। जिसमें हर वृक्ष की फोटो के साथ उसका स्थान, इतिहास, उम्र, महत्व और भूमि आदि की जानकारी रहेगी। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर इन वृक्षों के बारे में जानकारी ले सकेगा।
इन वृक्षों को मिलेगा विरासत वृक्षों का दर्जा
सिरौलीगौसपुर के बरौलिया स्थित पारिजात, रामनगर ब्लॉक के ददौरा का बरगद, अमोलीकलां का वट वृक्ष, देवा के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में स्थित पीपल, फतेहपुर के सुर्जनपुर और टांडा निजाम अली गांव में बरगद, खेरिया गांव में पीपल, हैदरगढ़ में नरौली टिकारामन बाबा परिसर में बरगद, रामसनेहीघाट के अजईमऊ गांव में पीपल, मोहम्मदपुर गांव में रेठ नदी की तलहटी और टांडा गांव में बरगद, मंगूपुर उदईपुर में नीम, हरख ब्लॉक के जैदपुर मार्ग पर पुराना पीपल और अच्छरी पुरवा में पुराना पाकड़ का वृक्ष शामिल है।विरासत के रुप में सहजने के लिए पारिजात समेत सौ वर्ष से अधिक पुराने 15 वृृृृक्षों को सूचीबद्ध कर जैव विविधता बोर्ड को भेजा गया था। जिस पर अंतिम मुहर एक सप्ताह में लगने की उम्मीद है। इसके बाद वन विभाग इन वृक्षों की देखभाल करेगा। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी इसका फायदा मिलेगा
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विरासत के रुप में इन वृक्षों की बाकायदा बुकलेट भी तैयार की जा रही है। जिले के इन वृक्षों के इतिहास, लोकेशन और अन्य संबंधित विवरण इंटरनेट पर जल्द ही दिखेगा। इसके साथ ही अयोध्या के निकट होने का भी जिले को काफी फायदा पहुंचेगा। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी लोग अयोध्या में राम मंदिर के साथ इन वृक्षों को देखने आएंगे।सौ वर्ष या उससे अधिक पुराने वृक्षों को वन विभाग द्वारा विरासत के तौर पर संजोने की शुरुआत हो चुकी है। सिरौलीगौसपुुर क्षेत्र के पारिजात और रामनगर ब्लॉक के ददौरा के बरगद वृक्ष सहित 15 वृक्षों को सूचीबद्ध कर वन विभाग ने कई माह पहले एक प्रस्ताव तैयार कर जैव विविधता बोर्ड लखनऊ भेजा था। जिस पर मुहर लगने के बाद वन विभाग इन चिह्नित वृक्षों की पूरी जिम्मेदारी के साथ इनकी देखभाल करेगा, सौंदर्यीकरण भी कराएगा।
वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार एक सप्ताह के अंदर बोर्ड द्वारा प्रस्ताव पर मुहर लगने के आसार हैं। इसके बाद इन 15 वृक्षों की एक बुकलेट भी छप रही है। जिसमें हर वृक्ष की फोटो के साथ उसका स्थान, इतिहास, उम्र, महत्व और भूमि आदि की जानकारी रहेगी। इसके अलावा कोई भी व्यक्ति इंटरनेट पर इन वृक्षों के बारे में जानकारी ले सकेगा।
इन वृक्षों को मिलेगा विरासत वृक्षों का दर्जा
सिरौलीगौसपुर के बरौलिया स्थित पारिजात, रामनगर ब्लॉक के ददौरा का बरगद, अमोलीकलां का वट वृक्ष, देवा के सिद्धेश्वर महादेव मंदिर में स्थित पीपल, फतेहपुर के सुर्जनपुर और टांडा निजाम अली गांव में बरगद, खेरिया गांव में पीपल, हैदरगढ़ में नरौली टिकारामन बाबा परिसर में बरगद, रामसनेहीघाट के अजईमऊ गांव में पीपल, मोहम्मदपुर गांव में रेठ नदी की तलहटी और टांडा गांव में बरगद, मंगूपुर उदईपुर में नीम, हरख ब्लॉक के जैदपुर मार्ग पर पुराना पीपल और अच्छरी पुरवा में पुराना पाकड़ का वृक्ष शामिल है।विरासत के रुप में सहजने के लिए पारिजात समेत सौ वर्ष से अधिक पुराने 15 वृृृृक्षों को सूचीबद्ध कर जैव विविधता बोर्ड को भेजा गया था। जिस पर अंतिम मुहर एक सप्ताह में लगने की उम्मीद है। इसके बाद वन विभाग इन वृक्षों की देखभाल करेगा। पर्यटन के दृष्टिकोण से भी इसका फायदा मिलेगा
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