भारत में समुद्र विज्ञानियों के नेतृत्वकर्ता माने जाने वाले विश्वविख्यात भूगर्भ विज्ञानी प्रो. एमएस श्रीनिवासन को भी कोरोना ने अपना ग्रास बना लिया। एक सप्ताह के अंदर यह बीएचयू के दूसरे बड़े वैज्ञानिक की मौत है। इससे पहले गत 24 अप्रैल को दुनिया के शीर्ष वैज्ञानिकों में शुमार भारत के हाइड्रोजन मैन प्रो. ओंकारनाथ श्रीवास्तव का भी कोरोना से निधन हो गया था।

बीएचयू के इमेरिटस प्रोफेसर डॉ. एमएस. श्रीनिवासन कोरोना से संक्रमित होने के बाद बीएचयू के सरसुंदर लाल अस्पताल में भर्ती थे। पिछले तीन दिनों से वह वेंटिलेटर पर थे। उनका निधन गुरुवार की दोपहर में ही हो गया था, लेकिन बीएचयू की ओर से प्रो. ओएन श्रीवास्तव की तरह उनके बारे में भी कोई सूचना जारी नहीं की गई। उनके निधन की जानकारी शुक्रवार को उनके शिष्य प्रो. अरुण देव सिंह ने दी, जो जो इन दिनों बीएचयू के भूगर्भ विज्ञान विभाग में स्थापित एमएस श्रीनिवासन लैब में नई पीढ़ी के वैज्ञानिकों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। 83 वर्षीय प्रो. श्रीनिवासन ने देश के कई शिक्षण संस्थानों में माइकोपैलेंटोलाजी विभाग के संस्थापक के रूप में खास पहचान बनाई थी। वह बीएचयू के पुरातन छात्र भी थे। उन्होंने ब्रिटिश फेलोशिप पाने के बाद 1965 में न्यूजीलैंड के विक्टोरिया यूनिवर्सिटी आफ वेलिंगटन से पीएचडी की डिग्री हासिल की। 1968 से 1969 तक ब्रिटिश म्यूजियम लंदन में सूक्ष्म जीवाश्मों का विशेष परीक्षण और शोधपूर्ण अध्ययन करने के बाद पहली बार विश्वस्तर पर चर्चा में आए थे। उन्होंने रोड आईलैंड यूएसए में स्थित ग्रेजुएट स्कूल आफ ओशनोग्राफी में विजिटिंग साइंटिस्ट के रूप में उल्लेखनीय सेवाएं दीं। आईयूजीएस कमेटी के दो बार चेयरमैन रह चुके प्रो. श्रीनिवासन ने भूगर्भ विज्ञान पर दो दर्जन से अधिक पुस्तकें लिखीं हैं। वह बीएचयू के बिरले शिक्षकों में से थे, जिनके जीवित रहते ही उनके नाम से विशेष गोल्ड मेडल दिया जाता है। यह गोल्ड मेडल भूगर्भ विज्ञान विभाग के क्षेत्र में सराहनीय अध्ययन करने वाले छात्रों को दिए जाते हैं। भूगर्भ विज्ञान के क्षेत्र में विशिष्ट सेवा के लिए उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है।

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