**डाक्टर ए०के०श्रीवास्तव, अयोध्या ब्यूरो चीफ*
बन्दर का काम पेड़ पर रहना है और बाघ का जमीन पर। लेकिन जंगल में समय और परिस्थिति का भरोसा नहीं होता। कभी भी विषम हो जाती है। कुछ वर्ष पहले जिम कॉर्बेट में एक भूखे बाघ ने भोजन के चक्कर में एक बन्दर को टारगेट पर ले लिया। बन्दर एक झाड़ी नुमा पेड़ पर बैठा था। बाघ दम लगाकर मोटी टहनियों का सहारा लेते हुए ऊपर चढ़ गया। धीरे-धीरे वह उस टहनी की ओर बढ़ने लगा जिधर बन्दर बैठा था। पर बन्दर घबराया नहीं।
हाँ!!चौकन्ना जरूर था।
अब जरा इस परिस्थिति में आदमी को रखकर देखिए। जब सामने जंगल का सबसे ताकतवर शिकारी हो तो हममें से अधिकांश मनुष्य सोचते कि गए काम से। बचना मुश्किल है। हाथ-पाँव फूलने लगते। तमाम तरह की नकारात्मकता हमारे भीतर पनपती। कुछ देर में पैर थर्राते और भद्द से जमीन पर। succumbed to death पर जंगली जानवरों की दुनिया में ऐसा नहीं होता। वहाँ मौत होती है पर हारकर या डरकर नहीं। वहाँ या तो जिंदगी मिलती है या लड़कर मौत होती है। वहाँ शिकारी कितना भी मजबूत हो और शिकार कितना भी कमजोर, पर संघर्ष की दास्तान समान होती है। *मौत का परिणाम लड़कर ही तय होता है, डर कर नहीं।*
तो अब वापस बाघ और बन्दर की परिस्थिति पर लौटते हैं , जो सचमुच की बनी थी और अक्सर जंगलों में बनती रहती है। अंतर केवल इतना था कि इसबार इंसान के कैमरे में इसकी रिकॉर्डिंग हो रही थी। बाघ धीरे-धीरे डाल की ओर बढ़ता गया। बन्दर डाल के छोर की ओर खिसकता गया। एक समय ऐसा आया जब बाघ और बन्दर के बीच गज भर का भी फासला नहीं बचा। कल्पना कर सकते हैं, एक 200 किलो के बाघ के सामने 20 किलो का बन्दर। पर ये जंगल है जनाब। और ये जंगली जानवर हैं। *यहां न कोई मदद मिलती है न कोई पुकार सुनता है।* भगवान से भी बचाव की गुहार नहीं लगाई जाती। सब कुछ खुद से करना होता है। सिर्फ अपने दम पर।
बन्दर बाघ की नजर से नजर मिलाए डाल के अंतिम छोर से लटका रहा। उस समय भी न उसमें कोई भय का चिन्ह था , न घबराहट का। उसे पता है कि यदि बाघ के पास ताकत है तो उसके पास भी उसकी अपनी क्षमताएं हैं और तभी वो आजतक जंगल में टिका रहा है। उस जंगल में जहाँ किसी की मृत्यु किसी का भोजन है। बन्दर निडरता के साथ बाघ का सामना करता रहा और सही समय पर डाल छोड़ दी और नीचे कूद पड़ा। बाघ जो बड़ी मुश्किल से डाल पर संतुलन बना पा रहा था, बड़े भौंडे तरीके से नीचे गिर पड़ा। उसके नीचे गिरने से सिर्फ भद्द की आवाज ही नहीं आयी, उसकी भद्द भी पिट गयी। बन्दर न सिर्फ बाघ से जीता, उसने मौत की बाजी जीत ली।
इस सच्ची घटना से क्या सीखा आपने।
ये मत देखो कि आपकी कमजोरी क्या है? देखो कि आपकी ताकत क्या है!!
एक्स्प्लोर एंड एक्सप्लॉइट योर पावर।
बन्दर ने ये नहीं देखा कि उसका शत्रु कितना ताकतवर है, उसने देखा कि उसकी शक्ति कहाँ है।
कोरोना और मानव की जंग भी कुछ ऐसी ही है। अपनी ताकत को एक्सप्लोर एंड एक्सप्लॉइट कीजिये। शत्रु कितना भी ताकतवर बनकर आया हो, अपनी क्षमता पर भरोसा रखिये। और लड़िये, डरिये मत, हार मत मानिए। एक से एक विषाणु-कीटाणु आये और चले गए, मगर मनुष्य है। कुछ ऐसी बात तो है कि
हस्ती मिटती नहीं हमारी। जय श्री कृष्णा
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