कोरोना काल में छोटे व्यापारी हुए परेशान
▪️"नौकरी करे सरकारी नही तो बेचय तरकारी" कहावत हुई चरितार्थ
गिरजा शंकर गुप्ता
अंबेडकर नगर 29 मई 2021 कोरोनावायरस महामारी के फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा लाकडाउन लगा दिया गया जिससे माहौल ही नही लोगों के मिजाज में परिवर्तन आ गया जिसके कारण लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया। नौकरी करे सरकारी नाहीं तो बेचय तरकारी वाली कहावत चरितार्थ हो रही है लोग अपना व्यवसाय बदल कर सब्जी बेचने का कार्य कर रहें हैं कोरोना महामारी के खतरे के कारण शहर ही नहीं गांव की गली-कुचों में सन्नाटा पसरा हुआ है खेती किसानी का भी जो काम था यास तूफान ने चौपट कर दिया। कोरोना की दूसरी लहर ने गांवों को अपनी चपेट में ले लिया जिससे ग्रामीणों की जीवन शैली पूर्ण रूप से बदल गई। लोगों की जिंदिगियां घरों में कैद होकर रह गई लोग खुद लॉकडाउन के नियमों का कड़ाई से पालन कर रहे हैं इस कोरोना महामारी से हर कोई सहमा और डरा हुआ है आवश्यक वस्तुओं की जरूरत पड़ने पर तथा किसी मरीज को अस्पताल ले जाने के लिए जब लोग बाहर निकलते हैं तो बिना मास्क के घर से बाहर नहीं निकलते हैं चाट, पान, मिठाई इत्यादि का व्यापार करने वाले छोटे व्यापारियों के सामने संकट की स्थिति उत्पन्न हो गई है। प्राइवेट संस्थानों में कार्य करने वाले इससे अछूते नहीं हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के वरिष्ठ कार्यकर्ता मोनू अग्रहरी ने बताया कि कोरोना कर्फ्यू ने गांव का माहौल बिल्कुल बदल दिया है। उन्होंने कहा कि जीवन यापन करने के लिए काफी लोगों ने अपना ब्यवसाय बदल दिया है।
कोरोना की दूसरी लहर ने हालात बिगड़ दिया और लोगों को सब्जी व फल बेचने पर मजबूर कर दिया।
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