बेलन बरौधा नदी पर बनाए गए फोरलेन सड़क के क्षतिग्रस्त पुल की मरम्मत करने में इंजीनियर जुट गए हैं। रविवार को टीम मरम्मत करने में लगी रही। उधर, पुल के क्षतिग्रस्त होने की सूचना पर सांसद से लेकर विधायक व मंडलायुक्त ने भी जांच कराने की बात कही थी।
वाराणसी टेंगरा मोड़ से भैसोड़ बलाय पहाड़ 125 किलोमीटर मध्यप्रदेश की सीमा तक सड़क राजमार्ग सात निर्माणाधीन है। इस सड़क पर बेलन बरौधा नदी पर पुल बनाया गया है। जिस पर पर दो दिनों के लिए यातायात चालू किया गया था लेकिन दूसरे दिन पुल के मध्य की सड़क क्षतिग्रस्त हो गई। इसके कारण पुल के नीचे भी पूरी सरिया दिखाई दे रही थी। खबर लगते ही कंपनी ने सड़क को दोनों तरफ से बंद करा दिया है। इसके बाद वाहन चालकों समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों ने सड़क की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर दिया। सड़क से गुजरने वाले पुल का वीडियो वायरल करने लगे। कंपनी ने पत्र जारी करके बताया कि सड़क की टेस्टिंग की गई है। रविवार को सड़क की मरम्मत करने वाले मजदूर और टेक्निकल ड्रीलिंग करने में जुटे हुए हैं। कंपनी के परियोजना कोऑर्डिनेटर संजीव सिंह का कहना है कि पुराने पुल की मरम्मत करने के लिए नवनिर्मित पुल को मात्र दो दिनों के लिए आवागमन के लिए चालू किया गया था। इस दौरान डिस्ट्रक्टिव परीक्षण कराया गया था। इसके कारण टूटफूट होती है। इसका निर्माण कंपनी के पैसे से होता है। अभी फोरलेन सड़क निर्माणाधीन है। इसलिए सरकार को स्थानांतरित नहीं किया गया है क्योंकि निर्माण के दौरान कई प्रकार के टेस्ट और संशोधन किए जाते हैं। इसके अलावा, अनुबंध के अनुसार चार साल तक सड़क की देखरेख मरम्मत की जिम्मेदारी कंपनी की है। ऐसी स्थिति में सड़क निर्माण में अनियमितता का सवाल ही नहीं उठता है। इस बाबत कंपनी के परियोजना निदेशक आरएस यादव का कहना है कि पुल के क्षतिग्रस्त होने की बात निराधार है।
वाराणसी टेंगरा मोड़ से भैसोड़ बलाय पहाड़ 125 किलोमीटर मध्यप्रदेश की सीमा तक सड़क राजमार्ग सात निर्माणाधीन है। इस सड़क पर बेलन बरौधा नदी पर पुल बनाया गया है। जिस पर पर दो दिनों के लिए यातायात चालू किया गया था लेकिन दूसरे दिन पुल के मध्य की सड़क क्षतिग्रस्त हो गई। इसके कारण पुल के नीचे भी पूरी सरिया दिखाई दे रही थी। खबर लगते ही कंपनी ने सड़क को दोनों तरफ से बंद करा दिया है। इसके बाद वाहन चालकों समेत विभिन्न राजनीतिक दलों के लोगों ने सड़क की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा कर दिया। सड़क से गुजरने वाले पुल का वीडियो वायरल करने लगे। कंपनी ने पत्र जारी करके बताया कि सड़क की टेस्टिंग की गई है। रविवार को सड़क की मरम्मत करने वाले मजदूर और टेक्निकल ड्रीलिंग करने में जुटे हुए हैं। कंपनी के परियोजना कोऑर्डिनेटर संजीव सिंह का कहना है कि पुराने पुल की मरम्मत करने के लिए नवनिर्मित पुल को मात्र दो दिनों के लिए आवागमन के लिए चालू किया गया था। इस दौरान डिस्ट्रक्टिव परीक्षण कराया गया था। इसके कारण टूटफूट होती है। इसका निर्माण कंपनी के पैसे से होता है। अभी फोरलेन सड़क निर्माणाधीन है। इसलिए सरकार को स्थानांतरित नहीं किया गया है क्योंकि निर्माण के दौरान कई प्रकार के टेस्ट और संशोधन किए जाते हैं। इसके अलावा, अनुबंध के अनुसार चार साल तक सड़क की देखरेख मरम्मत की जिम्मेदारी कंपनी की है। ऐसी स्थिति में सड़क निर्माण में अनियमितता का सवाल ही नहीं उठता है। इस बाबत कंपनी के परियोजना निदेशक आरएस यादव का कहना है कि पुल के क्षतिग्रस्त होने की बात निराधार है।
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