चंदौली के शहाबगंज विकास खंड के बरहुआ गांव में अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित सीट पर प्रधान पद पर दिव्यांग प्रत्याशी कुमारी पूजा ने जीत हासिल की है। पूजा ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी संध्या देवी को 87 मतों से परास्त किया। पूजा ने इस जीत के साथ साबित कर दिया कि बुलंद हौसले और लगन हो तो एक दिन मंजिल मिलती ही है। दोनों पैरों से दिव्यांग पूजा के आगे गरीबी भी आड़े नहीं आई।

जीवन में कभी नहीं देखी थी खुशी
पूजा को चुनाव में जहां 534 मत प्राप्त हुए। वहीं उसके प्रतिद्वंदी संध्या देवी को 437 मत मिले। बचपन से ही दोनों पैरों से दिव्यांग कुमारी पूजा उम्र के 24 वर्ष पूरा करने के बाद जीवन में अभी तक कभी खुशियां नहीं देख पाई थी। 8 वर्ष पूर्व माता संजू देवी के निधन के वक्त उनकी उम्र महज 16 वर्ष थी। जन्म से दु:खों को अपनी झोली में समेटे पूजा लगातार कठिनाइयों में जी रही हैं। 

मजदूरी करके पिता ने दो बेटियों को दिया लाड़ प्यार
मां के निधन के बाद पिता कमलाकांत उर्फ कल्लू गोंड़ ने उसे मां का भी प्यार देकर पालन पोषण किया। पिता कमलाकांत मजदूरी करके अपनी दो बेटियों माधुरी व पूजा और इकलौते बेटे आकाश की परवरिश करते हैं। गरीबी एवं दिव्यांगता की मार से पूजा कभी स्कूल की दहलीज तक कदम नहीं रख सकी। घर पर ही रहकर वह हस्ताक्षर बनाने का हुनर सीख कर साक्षरता कहलाने की काबिलियत तक हासिल की। व्हीलचेयर से एक-एक घर तक पहुंची

नवनिर्वाचित ग्राम प्रधान पूजा बताती है कि चुनाव लड़ने का जज्बा और हौसला गांव के अमरनाथ सिंह से मिला। व्हीलचेयर पर बैठकर पिता और समर्थकों के साथ वह पूरे गांव का भ्रमण कर एक-एक लोगों से मिलकर जीत का आशीर्वाद लेने में कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ी। अपनी जीत को वह पिता का आशीर्वाद बताते हुए कहती हैं कि वह गांव के अमरनाथ सिंह का सदैव ऋणी रहेगी। अपनी जीत को वह पूरे गांव की जनता की जीत बताती है। अपने कार्यकाल में वह गांव के लिए कुछ ऐसा काम करना चाहती है, जिससे गांव के विकास में एक नया अध्याय जुड़ सके।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने