तन्हाई जानलेवा साबित हो रही है। शहर में पिछले दस दिनों में दस लोगों ने आत्महत्या की है। सभी मौतों के पीछे तन्हाई एक बड़ा कारण बनकर सामने आई है। कोरोना काल में कोई पत्नी की जुदाई बर्दाश्त नहीं कर सका तो किसी ने मां के जाने के बाद इहलीला समाप्त कर ली। लोग अकेलापन बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं।
मनोवैज्ञानिक डॉ. रंजना तिवारी ने बताया कि तन्हाई में व्यक्ति अपने आपको अकेला पाकर भविष्य की कल्पना करता है। भूतकाल के बारे में सोचता है। नकारात्मक विचार उसके मन में आते हैं। उसे यह लगता है कि उसके साथ हमेशा ही गलत हुआ है। भविष्य में भी उसे टॉर्चर किया जाएगा। कोई समाधान नहीं दिखता। इस दौरान उसके मन में मानसिक आवेग आती है। इसी दौरान व्यक्ति खुद को असहाय पाकर जान देने की कोशिश करता है।
कब-कब हुईं घटनाएं
30 अप्रैल-करेली की रागिनी शुक्ला ने मां की मौत के बाद नए पुल से यमुना में कूद कर दी जान
30 अप्रैल-कौशाम्बी के रहने वाले युवक आसिफ ने करेली में आकर फांसी लगा ली थी
29 अप्रैल-कटरा के संजय सिंह की पत्नी मायके में थी। रात में उसने फांसी लगा ली थी
28 अप्रैल-सेना का जवान महेंद्र सिंह छिवकी सीओडी में फांसी पर लटका मिला
28 अप्रैल-करहेंदा के अनिल कोरोना काल में पत्नी की जुदाई बर्दाश्त नहीं कर सके
27-अप्रैल-अतरसुइया के रहने वाले इरफान ने नए यमुना पुल से कूद कर जान दे दी
23 अप्रैल-प्रतापगढ़ के कन्हैया लाल ने फाफामऊ पुल से गंगा में कूदकर जान दे दी
22 अप्रैल-कर्नलगंज के अरविंद यादव को पत्नी छोड़ गई थी। फांसी लगाकर जान दी
20 अप्रैल-कर्नलगंज का सुरेंद्र पत्नी को लेने ससुराल गया। नहीं लौटी तो फांसी लगा ली
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