चार दिनों से ताउते चक्रवात के प्रभाव से जिले में आंधी-तुफान के साथ शुरु हुई झमाझम बारिश के बाद शुक्रवार को सुबह धूप निकलने से लोग राहत में रहे। खेत, खलिहानों में जगह-जगह पानी भरा रहा। दिनभर आसमान में बादलों की आवाजाही से किसान मौसम को लेकर चिंतित दिखे।
बतातें चले कि 17 मई से ताउते चक्रवात के चलते उठे तुफान का असर जिले के विभिन्न हिस्सों में बना रहा। लगातार चार दिनों से रुक-रुक कर हुए बारिश से शहर से लेकर देहात तक जन जीवन अस्त-व्यस्त रहा। अधिकांश क्षेत्र में हुए जलभराव से जहां कई स्थानों पर आवागमन प्रभावित रहा। कुछ स्थानों पर कीचड़ भरे राहों से लोग परेशान रहे। मौसम पुर्वानुमान के आधार पर डीएसटी महामना जलवायु परिवर्तन केंद्र के समन्वयक एवं ग्रामीण कृषि मौसम सेवा बी एच यू वाराणसी के नोडल अधिकारी प्रो आर के मल्ल व तकनीकी अधिकारी (युवा मौसम वैज्ञानिक) शिव मंगल सिंह ने बताया कि आने वाले दिनों में आसमान में बादल छाए रहने की संभावना है। परंतु बारिश की कोई संभावना नहीं है। मौसम वैज्ञानिको ने कहा हवा की गति भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। किसानो को सलाह देते हुए कहा खाद्यान्न (अनाज ) को छायादार स्थान पर भंडारित करें। तथा फसल की कटाई से खाली हुए खेत की मिट्टी पलाउ हल से गहरी जुताई करें। लौकी, कद्दू, तरबूज और अन्य सब्जी वाली फसल की जरूरत के हिसाब खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए निराई व गुड़ाई करें।
बतातें चले कि 17 मई से ताउते चक्रवात के चलते उठे तुफान का असर जिले के विभिन्न हिस्सों में बना रहा। लगातार चार दिनों से रुक-रुक कर हुए बारिश से शहर से लेकर देहात तक जन जीवन अस्त-व्यस्त रहा। अधिकांश क्षेत्र में हुए जलभराव से जहां कई स्थानों पर आवागमन प्रभावित रहा। कुछ स्थानों पर कीचड़ भरे राहों से लोग परेशान रहे। मौसम पुर्वानुमान के आधार पर डीएसटी महामना जलवायु परिवर्तन केंद्र के समन्वयक एवं ग्रामीण कृषि मौसम सेवा बी एच यू वाराणसी के नोडल अधिकारी प्रो आर के मल्ल व तकनीकी अधिकारी (युवा मौसम वैज्ञानिक) शिव मंगल सिंह ने बताया कि आने वाले दिनों में आसमान में बादल छाए रहने की संभावना है। परंतु बारिश की कोई संभावना नहीं है। मौसम वैज्ञानिको ने कहा हवा की गति भी सामान्य से अधिक रहने की संभावना है। किसानो को सलाह देते हुए कहा खाद्यान्न (अनाज ) को छायादार स्थान पर भंडारित करें। तथा फसल की कटाई से खाली हुए खेत की मिट्टी पलाउ हल से गहरी जुताई करें। लौकी, कद्दू, तरबूज और अन्य सब्जी वाली फसल की जरूरत के हिसाब खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए निराई व गुड़ाई करें।
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