यूपी के स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ ने एस्मा लगाए जाने की कड़ी निंदा 

आगरा। महासंघ के कर्मचारियों ने कड़ी निंदा करते हुए यूपी सरकार के एस्मा को अधिकारों का हनन बताते हुए यूपी के स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ ने एस्मा लगाए जाने की संयुक्त रूप से कड़ी निंदा की हैं।

इस संदर्भ में उत्तर प्रदेश स्थानीय निकाय कर्मचारी महासंघ के प्रदेश उपाध्यक्ष विनोद इलाहाबादी एवं मण्डल अध्यक्ष चौधरी सपन सिंह मण्डल उपाध्यक्ष सूरज पहलवान जिला व अध्यक्ष राजकुमार विद्यार्थी हरीबाबू वाल्मीकि एवम कोषाध्यक्ष मोहन गुलज़ार आदि ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एस्मा लगाए जाने की कड़ी निंदा करते हुए इसे कर्मचारियों के अधिकारों का हनन करने वाला बताया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश का निकाय का सफाई कर्मचारी हो या अन्य संवर्गो का कर्मचारी दिनों दिन सेवा निवृत्त  हो रहा है परंतु सरकार स्थाई भर्ती करने के बजाय आउटसोर्सिंग पर भर्ती कर उनका सोशण कर रही है जबकि सरकार सफाई कर्मचारी को आवश्यक सेवाओं का कर्मचारी बताकर उसको किसी भी त्योहार की छुट्टी नहीं देती और जब सफाई कर्मचारी आवश्यक सेवाओं मे आता है तो उसमे आउटसोर्सिंग के माध्यम से नहीं लगा सकते आवश्यक सेवा में स्थाई भर्ती करने का प्राविधान है एवं अन्य संवर्गो के कर्मचारियों को पूर्व से सरकार द्वारा लगातार छला जा रहा है । कर्मचारियों के साथ विगत वर्षों से सौतेला व्यवहार किया जा रहा है । कर्मचारी महंगाई से परेशान है परिवार चलाना मुश्किल है सरकार कर्मचारियों की समस्याओं पर ध्यान ना देते हुए उसे आंदोलन के लिए मजबूर करती है और कर्मचारियों के प्रतीकात्मक आंदोलन के बाद सरकार द्वारा एस्मा लगाया जाना किसी तरह से कर्मचारी हितों के प्रति उसकी संवेदना को नहीं दिखाता, बल्कि सरकार की  संवेदनहीनता का परिचायक है। लोकतंत्र में हर व्यक्ति को अपनी बात रखने का अधिकार है, ऐसे समय में जबकि कर्मचारी खुद अपनी जान जोखिम में डालकर कार्य कर रहा है तो उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए ना कि डराया जाना चाहिए। सरकार ने महंगाई भत्ते की किस्तों को रोककर कर्मचारियों को 2 जून की रोटी खाना भी मुश्किल कर दिया है। 80 - ₹100 किलो सब्जी बिक रही है खाद्य सामग्री के दाम भी आसमान छू रहे हैं। इसके बावजूद कर्मचारी अपनी जान जोखिम में डालकर अपनी ड्यूटी कर रहा है और संक्रमित होकर  दिवंगत भी हो रहा है। राज्य सरकार एस्मा लगाकर उसकी पीड़ा को सुनने के बजाय उसके जबान भी बंद कर रही है। कहावत है कि जबरा मारे और रोने भी ना दे। महासंघ ने प्रदेश के माननीय मुख्यमंत्री जी से हस्तक्षेप कर इस तरह के आदेश वापस लेने की मांग की है ।

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