रसूलाबाद घाट पर पानी हरा होने के साथ मटमैला भी है। फाफामऊ के प्रवाह क्षेत्र में गंगा का पूरा प्रवाह यमुना की तरह है। गंगाजल का यही रंग शिवकुटी, सलोरी, दारागंज में भी देखने को मिल रहा है। रसूलाबाद घाट पर गंगाजल हरा होने को लेकर चर्चा हो रही है लेकिन कोई समझ नहीं पा रहा कि यह कैसे हो गया। गंगा किनारे रहने वाले विष्णु ने बताया कि पहले गंदगी बढ़ने पर गंगाजल काला होता था। घाट पर कालापन है लेकिन प्रवाह हरा है। प्रयाग धर्म संघ के अध्यक्ष राजेंद्र पालीवाल ने कहा कि गंगाजल के रंग में परिवर्तन की गंभीरता से जांच हो क्योंकि, इसी तरह की स्थिति वाराणसी में भी हुई। वहां उच्चस्तरीय जांच हो रही है। राजेंद्र कहते हैं कि जलकुम्भी गंगा की सेहत के लिए ठीक नहीं है। जलकुम्भी से बढ़ सकता है जलीय जीवों को खतरा रसूलाबाद घाट पर गंगा के प्रवाह क्षेत्र में जलकुम्भी का फैलना जलीय जीवों के लिए खतरनाक है। इससे गंगा का प्रवाह प्रभावित होगा और ऑक्सीजन की मात्रा कम होगी। रसूलाबाद घाट के पहले गंगा के प्रवाह क्षेत्र में लगभग 100 मीटर तक जलकुम्भी दिखाई दे रही है। फाफामऊ श्मशान घाट के पास भी बड़े क्षेत्र में जलकुम्भी है। जानकार कहते हैं कि जलकुम्भी जल्द नहीं हटाई गई तो यह गंगा के पूरे प्रवाह क्षेत्र में फैल जाएगी। रसूलाबाद घाट किनारे रहने वालों ने बताया कि जहां जलकुम्भी है वहां बहुत मछलियां होती थीं। आज वहां एक भी मछली नहीं है। यह जलकुम्भी सड़ेगी तो बदबू फैलेगी।
प्रयागराज में गंगाजल के हरा होने को लेकर नाविक, तीर्थ पुरोहित हैरान
Ashu sharma
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