NCR News:मैं अपने भाई को लेकर बुलंदशहर से ग्रेटर नोएडा तक के अस्पतालों में दर-दर की ठोकरें खाता रहा। कहीं भी उसे बेहतर उपचार नहीं मिल सका। जिसके कारण मैंने अपना भाई खो दिया। ये दर्द मुझे जीवन भर सताता रहेगा। उसकी आंखों से गिरते आंसू आज भी मुझे बेचैन कर देते हैं।मैं दनकौर के जमालपुर गांव का रहने वाला हूं। मेरे भाई अनिल की तबीयत अचानक खराब हो गई। उसे सिकंदराबाद के एक अस्पताल में भर्ती कराया। तबीयत ज्यादा खराब होने पर यहां से रेफर कर दिया गया। इसके बाद उसे लेकर राजकीय आयुर्विज्ञान संस्थान (जिम्स) पहुंचा।यहां इमरजेंसी में तैनात डॉक्टरों के हाथ जोड़े, पैर पकड़े, करीब एक घंटे तक गिड़गिड़ाने बाद भी डॉक्टर का दिल नहीं पिघला। जिम्स के निदेशक ब्रिगेडियर डॉ. आरके गुप्ता नोडल अधिकारी डॉ. अनुराग को भी कई बार फोन किया, उन्होंने फोन नहीं उठाया। इसके बाद उसे लेकर शारदा अस्पताल पहुंचे।यहां भी अस्पताल के अंदर मरीज को नहीं जाने दिया। अस्पताल के लोगों ने बेड फुल होने की बात कह कर वहां से भगा दिया। पूरी रात बेसुध पड़े भाई को लेकर अस्पताल की ठोकरें खाता रहा, किसी ने नहीं सुनी।थक हार कर एक जानकार की मदद से यथार्थ अस्पताल में उसे भर्ती कराया। जहां डॉक्टरों की टीम ने उसकी जान बचाने का काफी प्रयास लेकिन उसे बचा नहीं सके। वह हम सबको रुला कर चला गया।

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