कोरोना महामारी के दूसरे लहर के प्रकोप के बीच वाराणसी से बक्सर तक गंगा में शव मिलने की घटनाओं से अभी तक पर्दा नहीं हट सका है। ऐसे में गंगा सेवा अभियानम की टीम द्वारा की गई जांच की रिपोर्ट चौंकाने वाली है। रिपोर्ट में कहा गया कि किसी ने पैसों के अभाव में शव गंगा में बहाए तो कुछ लोगों ने जानबूझकर भी वाराणसी में मालवीय पुल (राजघाट ब्रिज) से शवों को ठिकाने लगा दिया।
गंगा सेवा अभियानम के प्रमुख राकेश चंद्र पांडेय ने बताया कि गंगा में जांच के दौरान चौंकाने वाले मामले आए हैं। मल्लाह व गोताखोर गोविंद साहनी और सुभाष चौधरी ने बताया कि अस्पताल में कोरोना से मरने के बाद कुछ शवों को रात के अंधरे में मालवीय पुल से गंगा में फेंका गया। गरीब परिवारों ने तो पैसों के अभाव में चुपके से रात में शव गंगा में बहा दिए। कुछ शव दूसरे जिलों से बहते हुए आए थे। मल्लाह रवि साहनी, कैलाश साहनी, सोहन साहनी, अनिल साहनी, सुरेंद्र साहनी, ने बताया कि पिछले सप्ताह उन लोगों ने गंगा में 17 शव बहते हुए देखे थे। उन शवों को पुलिस व जलपुलिस तथा पीपीई किट पहने हुए कर्मचारियों ने गंगा नदी पार सूजाबाद में रात के अंधेरे में जेसीबी से मिट्टी खुदवाकर शवों को दफनाया गया था।
गंगा सेवा अभियानम के प्रमुख राकेश चंद्र पांडेय ने बताया कि गंगा में जांच के दौरान चौंकाने वाले मामले आए हैं। मल्लाह व गोताखोर गोविंद साहनी और सुभाष चौधरी ने बताया कि अस्पताल में कोरोना से मरने के बाद कुछ शवों को रात के अंधरे में मालवीय पुल से गंगा में फेंका गया। गरीब परिवारों ने तो पैसों के अभाव में चुपके से रात में शव गंगा में बहा दिए। कुछ शव दूसरे जिलों से बहते हुए आए थे। मल्लाह रवि साहनी, कैलाश साहनी, सोहन साहनी, अनिल साहनी, सुरेंद्र साहनी, ने बताया कि पिछले सप्ताह उन लोगों ने गंगा में 17 शव बहते हुए देखे थे। उन शवों को पुलिस व जलपुलिस तथा पीपीई किट पहने हुए कर्मचारियों ने गंगा नदी पार सूजाबाद में रात के अंधेरे में जेसीबी से मिट्टी खुदवाकर शवों को दफनाया गया था।
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