तालाबों का वजूद बचाने के लिए जिम्मेदार आगे नहीं आ रहे हैं। तालाबों की जमीन पर पक्के मकानों का निर्माण बरोकटोक चल रहा है। तालाब पोखरे का क्षेत्रफल अवैध कब्जे के कारण कम होता जा रहा है। शहर व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में तालाबों का दायरा सिमटता ही जा रहा है। तालाब की जमीन पर मकान बनाने वाले बैनामा लेने की बात कहकर अपने कब्जे को वैध बताते हैं।
भूगर्भ जल स्तर के नीचे सरकने के कारणों में तालाब, पोखर व कुंआ का वजूद मिट जाना है। चार माह तक होने वाली वर्षा का पानी तालाब में ही एकत्र होता था। तालाब में भरे पानी से ही किसान फसलों की सिंचाई करते थे। आज स्थिति बदल गई है। तालाबों के जमीन पर भू माफिया कब्जा कर रहे है।
शनिवार को तहसील उतरौला अंतर्गत ग्राम कपौवा शेरपुर निवासी बब्बू ने ग्राम सभा के तालाब की भूमि पर अवैध मकान निर्माण कराए जाने की शिकायत मुख्यमंत्री पोर्टल पर करी है।
आरोप है कि तालाब पर अवैध निर्माण होने से जल निकासी बाधित हो रहा है। अवैध मकान निर्माण की सूचना हल्का लेखपाल को दी गई थी।
लेकिन अभी तक अवैध निर्माण रुकवाने की कोई कार्रवाई नहीं की गई। जिससे दबंगों के हौसले बुलंद हैं। अगर तालाब पर अवैध मकान बन जाएगा तो गांव के पश्चिम तरफ की आबादी का जल निकासी पूरी तरह बंद हो जाएगा।
असगर अली
उतरौला
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