उतरौला (बलरामपुर) अपनी आर्थिक स्थिति संवारने तथा  बच्चों की जीविका चलाने के लिए अन्नदाता किसान रबी की फसल उगाने के बाद एक बार पुनः इन खाली हुए खेतों में धान की पौध रोपाई हेतु नर्सरी लगाकर अच्छी आमदनी के प्रयास में जुट गया है। 
इसके लिए वह सरकारी बीज गोदामों सहित प्राइवेट बीज की दुकानों से धान की अच्छी पैदावार के लिए अच्छे से अच्छे सीड्स की खरीदारी में जुटे हुए हैं।
       बरसात का मौसम शुरू होते ही खाली हुए खेतों में कड़ी मेहनत के बाद तैयारी करके किसान अब आगामी फसल धान की रोपाई के लिए नर्सरी लगाना शुरू कर दिया है। इसके लिए वे बीज के इंतजाम में जुट गए हैं बीज व्यापारियों ने भी खरीफ की फसल की बुवाई के मौसम को देख स्थानीय बीजों के अलावा बाहर से भी प्रतिष्ठित सीड्स कंपनियों के बीज स्टाक मंगा लिया है कोरोना संकट काल के चलते गिने चुने किसान ही बाजार में पहुंच रहे हैं ज्यादातर किसान स्थानीय बीज के सहारे खेती किसानी के मूड में दिख रहे हैं। किसानों का मानना है कि यदि उनकी फसल में कोई दैवीय आपदा का प्रकोप न पड़ा तो धान की फसल की अच्छी पैदावार के बाद होने वाले धनार्जन से वह अपनी माली हालत में सुधार कर सकेगा।
 तथा अपने बच्चों के मांगों को पूरा करने में समर्थ होगा। किसानों द्वारा धान की रोपाई करने हेतु नर्सरी तैयार होने में लगभग एक माह का समय लगता है जिसके बाद तैयार हुए पौध को खेतों में पलेवा करके रोपाई की जाती है।
असगर अली
उतरौला

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