कोरोना संकट के कारण मुंबई से अपने घर वाराणसी लौटे चंद्रकांत सिंह उर्फ मोनू (24) ने मंगलवार को कमरे में फांसी लगाकर जान दे दी। कपसेठी के इसरवार गांव निवासी मोनू का शव सीलिंग फैन से चद्दर के सहारे लटकते मिला। घटना की जानकारी फैलते ही इलाके में सनसनी मच गई। सूचना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भिजवाया। कमरे के अंदर दीवार पर मोनू ने आत्महत्या की वजह और पड़ोस के एक ही परिवार के रहने वाले दस लोगों के नाम लिखे थे।
मुंबई स्थित प्रोडक्शन हाउस में मोनू सहायक के रूप में काम करता था। उसके चाचा की तहरीर पर पुलिस ने दस आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया। इसरवार गांव में टेलीफोन विभाग से सेवानिवृत्त कर्मचारी बलवंत सिंह के दो बेटों में छोटा चंद्रकांत सिंह उर्फ मोनू मुंबई में रह कर काम करता था। बीते दिनों कोरोना संकट के दौरान वह घर चला आया और यहीं रह रहा था। पड़ोसी राजकुमार सिंह सुनील कुमार सिंह आदि से काफी अरसे से मोनू के परिवार का जमीन संबंधी विवाद चला आ रहा था। आरोप है कि पड़ोसी अपने हिस्से के जमीन में मकान बनाकर और मोनू के हिस्से में बारजा (छज्जा) निकाल रहे थे।
इस बात का परिजन विरोध कर रहे थे। इसी मामले में सोमवार दोपहर गांव के पूर्व प्रधान एवं वर्तमान प्रधान की मौजूदगी में पंचायत बुलाई गई थी। आरोप है कि पड़ोसियों ने भरी पंचायत में दबंगई दिखाते हुए मोनू की बेरहमी से पिटाई की थी। भरे पंचायत में पिटाई से मोनू काफी आहत और डरा सहमा था।
मंगलवार सुबह मोनू का शव कमरे के अंदर पंखे के सहारे चादर से लटकता हुआ मिला। यही नहीं, मोनू ने फांसी लगाने से पूर्व कमरे की दीवार पर पड़ोस के रहने वाले दस लोगों के नाम लिखकर अपनी आत्महत्या का जिम्मेवार और जमीन कब्जे का उल्लेख किया था।मोनू के चचेरे भाई रविकांत सिंह की तहरीर पर दस नामजद के खिलाफ पुलिस मुकदमा दर्ज कर आरोपियों की तलाश में जुट गई है। उधर, मोनू के परिवार में कोहराम मचा हुआ है। मां उर्मिला देवी सहित अन्य का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजनों की सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम को भेजा औऱ कमरे को सील कर चाभी अपने पास रख ली।
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