उतरौला (बलरामपुर) 
यास तूफान को लेकर जिले में अलर्ट जारी किया गया लेकिन बिजली विभाग तूफान के बाद होने वाले क्षति की भरपाई के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। तूफान के कारण पेड़ गिरने की घटनाएं सबसे ज्यादा होती हैं जिनका असर खंभों, इंसुलेटर, क्रसर पर पड़ता है।
 खंभे गिरने के कारण एचटी व एलटी लाइनें बुरी तरह प्रभावित होती हैं जिससे आपूर्ति व्यवस्था पूरी तरह अव्यवस्थित हो जाती है। स्थिति यह है कि आधा दर्जन पोल भी विभाग के पास उपलब्ध नहीं हैं जबकि तूफान से डैमेज होने वाले खंभों की संख्या सैकड़ा पार कर जाती है। पिछले साल 26 जुलाई को आए तूफान के चलते उपकेंद्र के अंतर्गत लगभग 244 खंभे टूट गए थे। क्षति का आकलन कर विद्युत विभाग ने रिपोर्ट तत्कालीन एसडीएम एके गौड़ को प्रेषित की थी। उप मंडलीय अभियंता पीएस श्रीवास्तव बताते हैं कि राजस्वकर्मियों ने दस दिन बाद बताए गए स्थलों का सर्वे किया जिनमें महज 48 पोल डैमेज होने की रिपोर्ट एसडीएम को प्रेषित की गई। बिजली की आवश्यकता के चलते जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों का दबाव होने पर दो दिन के भीतर लाइनमैन व कर्मचारियों से अतिरिक्त काम लेकर यहां-वहां से जुगाड़ करके लाइन बहाल कराने की विवशता होती है। लेकिन क्षतिपूर्ति की धनराशि बिजली विभाग को एक साल बीतने के बाद भी नहीं मिली। एसडीओ का कहना है कि विभाग के पास इस समय इंसुलेटर, एबीसी, क्रसर व तार सीमित मात्रा में हैं। जबकि आंधी-तूफान में क्षतिग्रस्त होने वाले सामानोंं की संख्या चालीस फीसदी पार कर जाती है।
 विभाग के सर्वे के विपरीत राजस्वकर्मियों की लेटलतीफी से होने वाले स्थलीय जांच से क्षति का आकलन डिफर कर जाता है।
एसडीएम डॉ. नागेंद्र नाथ यादव का कहना है कि दैवी आपदाओं से होने वाली क्षति पर राजस्व विभाग की जांच रिपोर्ट अनिवार्य होती है।
असगर अली
 उतरौला

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