**डाक्टर ए०के०श्रीवास्तव, अयोध्या ब्यूरो चीफ**
1950 के दशक में हापकिन्स यूनिवर्सिटी के विख्यात साइंटिस्ट कर्ट रिचट्टर ने चूहों पर एक अजीबोगरीब शोध किया था। कर्ड ने एक जार को पानी से भर दिया और उसमें एक चूहे को फेंक दिया। 
पानी से भरे जार में गिरते ही चूहा हड़बड़ाने लगा। 
जार से बाहर निकलने के लिये ज़ोर लगाने लगा। 
 चंद मिनट फड़फड़ाने के पश्चात चूहे ने हथियार डाल दिये और वह उस जार में डूब गया। 
कर्ट ने उस समय अपने शोध में थोड़ा सा बदलाव किया। उन्होंने एक चूहे को पानी से भरे जार में डाला। चूहा जार से बाहर आने के लिये ज़ोर लगाने लगा। जिस समय चूहे ने ज़ोर लगाना बन्द कर दिया और वह डूबने को था......उसी समय कर्ड ने उस चूहे को मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया। कर्ड ने चूहे को ठीक उसी क्षण जार से बाहर निकाल लिया जब वह डूबने की कगार पर था। 
चूहे को बाहर निकाल कर कर्ट ने उसे सहलाया ......कुछ समय तक उसे जार से दूर रखा और फिर एक दम से उसे पुनः जार में फेंक दिया। 
पानी से भरे जार में दोबारा फेंके गये चूहे ने फिर जार से बाहर निकलने की जद्दोजेहद शुरू कर दी। 
लेकिन पानी में पुनः फेंके जाने के पश्चात उस चूहे में कुछ ऐसे बदलाव देखने को मिले जिन्हें देख कर स्वयं कर्ट भी हैरान रह गये। 
कर्ट सोच रहे थे के चूहा बमुश्किल 15 - 20 मिनट संघर्ष करेगा और फिर उसकी शारीरिक क्षमता जवाब दे देगी और वह जार में डूब जायेगा। 

लेकिन ऐसा नहीं हुआ। 

चूहा जार में तैरता रहा। 
जीवन बचाने के लिये सँघर्ष करता रहा। 

60 घँटे .......जी हाँ .....60 घँटे तक चूहा पानी के जार में अपने जीवन को बचाने के लिये सँघर्ष करता रहा। 
कर्ट यह देख कर आश्चर्यचकित रह गये। जो चूहा 15 मिनट में परिस्थितियों के समक्ष हथियार डाल चुका था ........वही चूहा 60 घँटे से परिस्थितियों से जूझ रहा था और हार मानने को तैयार नहीं था। 

कर्ट ने अपने इस शोध को एक नाम दिया और वह नाम था......." The HOPE experiment".....! 

Hope........यानि आशा। 

कर्ट ने शोध का निष्कर्ष बताते हुये कहा के जब चूहे को पहली बार जार में फेंका गया .....वह डूबने की कगार पर पहुंच गया .....उसी समय उसे मौत के मुंह से बाहर निकाल लिया गया। उसे नवजीवन प्रदान किया गया। 

उस समय चूहे के मन मस्तिष्क में "आशा" का संचार हो गया। उसे महसूस हुआ के एक हाथ है जो विकटतम परिस्थिति से उसे निकाल सकता है। 

जब पुनः उसे जार में फेंका गया तो चूहा 60 घँटे तक सँघर्ष करता रहा.......वजह था वह हाथ......वजह थी वह आशा ......वजह थी वह उम्मीद। 

इस परीक्षा की घड़ी में उम्मीद बनाये रखिये। 
सँघर्षरत रहिये। 
सांसे टूटने मत दीजिये।
मन को हारने मत दीजिये। 
जिसने हाथ ने हमें इस पानी के जार में फेंका है वही हाथ हमें इस पानी के जार से सकुशल वापिस निकाल लेगा। 

उस हाथ पर विश्वास रखिये।

Post a Comment

If you have any doubts, please let me know

और नया पुराने