आईआईटी बीएचयू में नौकरी लगवाने के नाम पर आठ लोगों के साथ फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। कुछ लोगों ने एंटीकरप्शन ब्यूरो और बीएचयू का अधिकारी बनकर जलालीपट्टी निवासी महिला सहित आठ लोगों से करीब 90 लाख रुपये की ठगी की है। पीड़िता सुमनलता श्रीवास्तव ने इस प्रकरण में डीसीपी (काशी) को आवेदन पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है।पीड़िता ने बताया कि वर्ष 2019 में ठगों ने अपनी पत्नियों के माध्यम से उनके परिवार से संपर्क बनाया। उसके बाद प्राय: घर आना-जाना शुरू किया। एक दिन बात ही बात में उन महिलाओं ने बीएचयू में नियुक्तियों की बातचीत छेड़ी। यह विश्वास दिलाया कि उनके पति और पति के मित्र आईआईटी बीएचयू में नौकरी लगवा सकते हैं। कुछ दिन बाद दोनों महिलाएं अपने पति के साथ उनके घर पहुंचीं। उनमें से एक ने खुद को एंटीकरप्शन ब्यूरो का अधिकारी बताया और दूसरे ने बीएचयू में अधिकारी बताया। दोनों ने परिचय पत्र भी दिखाए। आईआईटी बीएचयू में नौकरी पाने की उम्मीद से पीड़िता सुमनलता, उनके पति शैलेंद्र श्रीवास्वत, उनके दो भाई और चार अन्य मित्रों ने अलग-अलग किश्तों में कुल मिला कर 90 लाख रुपये उन्हें दिए। कुछ समय बाद इन सभी को बीएचयू के लेटरहेड पर नियुक्तिपत्र भी दे दिया गया। नियुक्तिपत्र पाने की खुशी जल्द ही काफूर हो गई जब बीएचयू जाने के बाद पता चला कि सारे नियुक्ति पत्र फर्जी हैं।
सुमनलता ने बताया कि फर्जीवाड़ा करने करने वालों में चार लोग शामिल थे जो महमूरगंज और रानीपुर में रहते हैं। उन्होंने चारों के नाम से भेलूपुर थाने में तहरीर दी। उनकी शिकायत पर पुलिस ने आरोपितों को थाने पर बुलाया। पहले तो वह इनकार करते रहे, लेकिन जब वायस रिकॉर्डिंग सुनाई गई तो उन्होंने कुबूल भी किया। बावजूद इसके पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं की। न्याय पाने के लिए एसीपी भेलूपुर और डीसीपी काशी को प्रार्थनापत्र दिया है।
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