गंगा में शव बहाने के मामले में गंगाजल की रिपोर्ट ही पूरी कहानी बयां करेगी। पिछले साल के आंकड़े और वर्तमान साल के डाटा के आधार पर प्रदूषण के स्तर की जांच की जाएगी। कानपुर से वाराणसी के गंगाजल के सैंपल की रिपोर्ट 15 दिनों में आ जाएगी। सीएसआईआर और आईआईटीआर की टीमों ने सैंपलिंग पूरी कर ली है।
पानी में कोरोना वायरस की पुष्टि होने के बाद गंगा में प्रदूषण और टाक्सिन बढ़ने की आशंका से जांच की जा रही है। संभावना जताई जा रही है कि इसके बाद वाराणसी से पटना तक भी गंगाजल की सैंपलिंग की जाएगी। 15 दिनों बाद आने वाली गंगाजल की रिपोर्ट से यह पता चल पाएगा कि वास्तव में गंगा में प्रदूषण बढ़ा है या नहीं। वाराणसी में टीम ने कैथी गांव से पानी का सैंपल लिया था। क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी कालिका सिंह ने बताया कि गंगाजल के सैंपल की जांच के बाद इसकी रिपोर्ट केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को सौंपी जाएगी। इसके बाद यूपी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड अपने पास मौजूद पुराने आंकड़ों से इसका मिलान कर वास्तविकता परखेगा।वाराणसी समेत कानपुर, प्रयागराज, गाजीपुर, बलिया और कई शहरों में बीते दिनों बड़ी संख्या में गंगा नदी के किनारे सैकड़ों की संख्या में शव मिले थे। गंगा किनारे शवों को दफनाया भी गया है। दाह संस्कार भी बड़ी संख्या में हुए हैं। इसके बाद गंगा में जल प्रदूषण की आशंका बढ़ी है।
इस वजह से केंद्र सरकार ने काउंसिल फॉर साइंटिफिक इंडस्ट्रियल रिसर्च इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च लखनऊ की संयुक्त टीम को काशी, प्रयागराज और कानपुर में गंगा के पानी की जांच और उसकी गुणवत्ता परखने के लिए लगाया है। वाराणसी से पटना के बीच की भी सैंपलिंग कराई जा रही है।
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