इलाहाबाद हाईकोर्ट ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा उत्तर प्रदेश को निर्देश दिया है कि अध्यापकों से अध्यापन कार्य ही लिया जाय. अतिरिक्त कार्य लेना राज्य के लिए जरूरी हो तो अध्यापन कार्य प्रभावित किये बगैर ही लिया जाए. कोर्ट ने खेल, स्काउट आदि कार्य के लिए प्रतिनियुक्ति पर भेजे गये अध्यापकों को उनके मूल पद पर अध्यापन कार्य के लिए वापस बुलाने के आदेश को कड़ाई से लागू करने का निर्देश दिया है और कहा है कि अध्यापकों को गैर शैक्षिक कार्य न लेने के लिए तत्काल आदेश निर्गत किये जाए.कोर्ट ने महानिदेशक बेसिक शिक्षा के प्रतिनियुक्ति पर भेजे गये सभी अध्यापकों को उनके मूल पद पर भेजने के सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को दिये गए निर्देश पर हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अध्यापकों से अध्यापन के सिवाय अन्य कार्य न लिया जाए. क्योंकि जिस पद पर नियुक्ति की गयी है उनसे वहीं कार्य लिया जाए. अध्यापन कार्य अध्यापकों का प्राथमिक कर्तव्य है, इसके बाद ही जरूरी होने पर अतिरिक्त कार्य लिया जाए.यह आदेश न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्र ने चंदौली के प्राइमरी स्कूल के प्रधानाध्यापक विवेकानंद दूबे की याचिका पर दिया है. याचिका मे महानिदेशक के आदेश को यह कहते हुए चुनौती दी गयी थी कि वह गेम टीचर है और प्रधानाध्यापक है. अन्य अध्यापकों की तरह अध्यापन उसका कार्य नहीं है. इसलिए उसकी खेल स्काउट के लिए प्रतिनियुक्ति को मनमाने तौर पर वापस न ली जाय.

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