गर्मी बढ़ने के साथ ही लोगों के गले को तर करने के लिए शीतल पेय पदार्थो की दुकानें गुलजार हो चुकी हैं। तेज धूप एवं उमस भरी गर्मी के चलते लोगों में इसकी मांग बढ़ गई है।
यही वजह है कि तहसील, कचहरी मुख्यालय प्रमुख चौराहों, ग्रामीण नुक्कड़ पर तरह-तरह पेय पदार्थ वाली दुकानें सज गई हैं। यहां हर समय लोगों की काफी भीड़ जुटी दिखाई देती है।
गन्ना, बेल जूस व शीतल पेय पदार्थों की मांग इतनी ज्यादा हो चुकी है कि इसके विक्रेता गांव, गली, मोहल्लों तक पहुंचने के लिए ठेला, रिक्शा एवं मोटर वाहनों का इस्तेमाल कर रहे हैं।
अप्रैल महीने से ही गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखाने लगी है। धूप के तेज थपेड़ों से बचने के लिए राहगीर भले ही सिर ढकने के लिए गमछा आदि का प्रयोग कर रहे हो। बावजूद इसके गर्मी से छुटकारा मिलता नजर नहीं आ रहा है। हालत यह है थोड़ी दूरी का सफर तय करने के बाद गला सूख जाता है। जिसे तर करने के लिए लोग शीतल पेय पदार्थ की दुकानों की ओर बढ़ जाते हैं। गर्मी बढ़ने एवं लोगों के प्यास की शिद्दत को देखते हुए मुख्य चौराहों पर जगह-जगह दुकान व स्टाल सज चुके हैं। कोल्ड्रिंग के अलावा बेल, गन्ना जूस, नींबू पानी, शिकंजी आदि स्टालों पर इन दिनों भीड़ काफी अधिक जुट रही है। मंदिर चौराहा, डाक बंगला, बैंक, आदि स्थानों पर दर्जनों दुकानें देखी जा सकती हैं।
चौराहे पर बेल के जूस की दुकान लगाने वाले ने बताया एक दिन करीब तीन से साढे तीन सौ से की बिक्री हो जाती है। जूस के दाम में भी मंहगाई का असर देखने को मिल रहा है। पिछले वर्ष 10 रुपए मिलने वाला जूस गिलास इस बार 15 रुपए में मिल रहा है। बगल में स्थित गन्ने का रस बेचने वाले ने बताया 10, 15, 20 रूपये प्रति गिलास की दर से बिक्री हो रही है। बजरंगी गुप्ता, वाजिद हुसैन, आशीष कशौधन, ऋषभ श्रीवास्तव, अनिल गुप्ता आदि ने बताया कि गर्मी के इस मौसम में जूस न केवल गला तर करता बल्कि पेट भी सही रखता है। वहीं गन्ने का रस पी रहे डॉक्टर सीबी उपाध्याय ने बताया कि रस में पुदीन की पत्ती का रस मिलाकर पीने से तरावट तो मिलने के साथ ही पेट खराबी की शिकायतें भी कम हो जाती हैं।
अभी तो यह शुरूआत है, जैसे-जैसे मौसम और तीखा होगा, ऐसे शीतल पदार्थो की बिक्री में भी और तेजी आ जाएगी।
असगर अली
उतरौला
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