अम्बेडकरनगर । उत्तरप्रदेश राज्य पुरातत्व विभाग ने सुरहुरपुर के मौजा जफरपुर मुर्गजार स्थित किला रूपी अवशेष को संरक्षण में लेने का आदेश जिलाधिकारी को दिया है।बिदित हो कि सुरहुरपुर गांव के चारो तरफ सम्राट नरेश राजा सुहेलदेव का जन्मस्थान व ननिहाल होने का दावा सुहेलदेव समिति द्वारा किया जा रहा था।इसी क्रम में यहाँ हर वर्ष उनके जन्मदिन के अवसर पर कार्यक्रम आयोजित किया जाता रहा है।

बीते फरवरी माह में राजा सुहेलदेव के जन्मदिन पर संघ प्रचारक मुरारीदास मोरंगध्वज के नेतृत्व में अशोक राजभर,अरविंद पाण्डेय समेत अन्य की अगुवाई में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया था।मामला दो समुदायों से जुड़ा होने के नाते तत्समय के उपजिलाधिकारी भरत लाल सरोज ने थानाध्यक्ष मालीपुर विवेक वर्मा को विवादित स्थल अपने कब्जे में लेने और कार्यक्रम को विवादित स्थल से दूर आयोजन का आदेश दिया था।उपजिलाधिकारी ने प्रकरण की जांच के लिए पुरातत्व विभाग को भेज दिया था।पुरातत्व विभाग के उत्खनन एवम अन्वेषण अधिकारी राम विनय ने ऐतिहासिक धरोहर रूपी किला को अपने संरक्षण में लेने का आदेश जिलाधिकारी को दिया है।
गौरतलब हो कि श्रावस्ती राजा सम्राट सुहेलदेव का सुरहुरपुर से गहरा नाता रहा है।अवध गजेटियर के अनुसार सुहेलदेव का ननिहाल यही था और सम्राट का जन्म 1009 में यही हुआ था।इनकी माता का नाम जहाँ जयलक्ष्मी था वही इनके नाना का नाम सोहनवल था।सुहेलदेव को जब महज 18 वर्ष की उम्र में सन 1027 में जब राज्याभिषेक हुआ उसके कुछ वर्ष बाद जब राजा बनकर सुहेलदेव यहाँ आये तो उन्होंने सुरहुरपुर को अपनी राजधानी बनाने की नींव रखी।जिसके अवशेष आज भी है।किंवदंतियों के अनुसार मुगलो से हुई भयंकर युद्ध में सुरहुरपुर के किला पर मुगलो ने कब्जा कर लिया और ननिहाल समेत पूरी फौज का कत्ल कर दिया गया।

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